लोकतंत्र पर निबंध 10 lines (Democracy In India Essay in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों मे

essay on democracy in india in hindi

Democracy In India Essay in Hindi – लोकतंत्र को सर्वोत्तम प्रकार की सरकार माना जाता है क्योंकि यह नागरिकों को सीधे अपने नेताओं को चुनने की अनुमति देता है। Democracy In India Essay उनके पास कई अधिकारों तक पहुंच है जो किसी के भी स्वतंत्र और शांतिपूर्वक रहने की क्षमता के लिए मौलिक हैं। दुनिया में कई लोकतांत्रिक देश हैं, लेकिन भारत अब तक सबसे बड़ा है। यहां ‘भारत में लोकतंत्र’ विषय पर कुछ नमूना निबंध दिए गए हैं।

भारतीय लोकतंत्र पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Indian Democracy Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) भारत में सरकार का लोकतांत्रिक स्वरूप है।
  • 2) लोकतंत्र में लोगों को उनके लिए सरकार चुनने की अनुमति है।
  • 3) भारत 1947 में अपनी आजादी के बाद से एक लोकतांत्रिक देश है।
  • 4) दुनिया के कई देशों में भारत सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में दर्ज है।
  • 5) लोकतंत्र के कारण भारत के लोगों को कई मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।
  • 6) भारत के लोग लोकतंत्र के कारण स्वतंत्रता और समानता का आनंद लेते हैं।
  • 7) लोकतंत्र देश में शांति और प्रेम को प्रोत्साहित करता है।
  • 8) भारत में लोग चुनाव कराकर अपने प्रतिनिधियों का चयन करते हैं।
  • 9) भारत में लोकतंत्र देश के विकास में मदद कर रहा है।
  • 10) लोकतंत्र के कारण भारत में विविध लोग एकता के साथ रहते हैं।

लोकतंत्र पर 100 शब्दों का निबंध (100 Words Essay On Democracy in Hindi)

लोकतंत्र एक शब्द है जिसका उपयोग सरकार के उस स्वरूप का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिसमें लोगों को वोट देकर अपनी बात कहने का अधिकार होता है। लोकतंत्र किसी भी समाज का एक अनिवार्य हिस्सा है, और भारत कोई अपवाद नहीं है। ब्रिटिश औपनिवेशिक नियंत्रण के तहत वर्षों की पीड़ा के बाद, भारत को 1947 में लोकतंत्र प्राप्त हुआ। भारत लोकतंत्र पर बहुत जोर देता है। भारत भी बिना किसी संदेह के दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

देश को आजादी मिलने के बाद से ही न्याय, स्वतंत्रता और समानता की भावना भारतीय लोकतंत्र में व्याप्त रही है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत इस बात का ज्वलंत उदाहरण रहा है कि लोकतंत्र कैसे प्रगति को बढ़ावा दे सकता है और अपने सभी नागरिकों के लिए अधिकार सुनिश्चित कर सकता है।

लोकतंत्र पर 200 शब्दों का निबंध (200 Words Essay On Democracy in Hindi)

लोकतंत्र सरकार की एक प्रणाली है जो नागरिकों को वोट देने और अपनी पसंद की सरकार चुनने की अनुमति देती है। 1947 में ब्रिटिश शासन से आज़ादी के बाद भारत एक लोकतांत्रिक राज्य बन गया। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है।

भारत में लोकतंत्र अपने नागरिकों को उनकी जाति, रंग, पंथ, धर्म और लिंग के बावजूद वोट देने का अधिकार देता है। इसके पांच लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं – संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणतंत्र।

विभिन्न राजनीतिक दल समय-समय पर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चुनावों में खड़े होते हैं। वे अपने पिछले कार्यकाल में किए गए कार्यों के बारे में प्रचार करते हैं और अपनी भविष्य की योजनाओं को भी लोगों के साथ साझा करते हैं। भारत के 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक नागरिक को वोट देने का अधिकार है। अधिक से अधिक लोगों को वोट डालने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है. लोगों को चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों के बारे में सब कुछ जानना चाहिए और सुशासन के लिए सबसे योग्य उम्मीदवार को वोट देना चाहिए।

भारत एक सफल लोकतांत्रिक व्यवस्था के रूप में जाना जाता है। हालाँकि, कुछ खामियों पर काम करने की जरूरत है। अन्य बातों के अलावा, सरकार को सच्चे अर्थों में लोकतंत्र सुनिश्चित करने के लिए गरीबी, अशिक्षा, सांप्रदायिकता, लिंग भेदभाव और जातिवाद को खत्म करने पर काम करना चाहिए।

लोकतंत्र पर 300 शब्दों का निबंध (300 Words Essay On Democracy in Hindi)

‘डेमोक्रेसी’ शब्द ग्रीक मूल का है जिसका अर्थ है वह सरकार जिसमें सत्ता लोगों के हाथों में होती है। लोकतांत्रिक सरकार वह सरकार है जिसे देश की जनता द्वारा चुना जाता है। लोकतंत्र हमें अपनी स्वतंत्रता का आनंद लेने और सही और गलत पर अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार देता है।

ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद 1947 से भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है। भारत में सरकार का गठन देश की जनता द्वारा किया जाता है। इसके अलावा, भारत पूरी दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यह देश में लोकतंत्र के कारण ही है कि विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोग लंबे समय से शांति और सद्भाव से रह रहे हैं। लोकतांत्रिक देशों में रहने वाले लोगों के लिए मतदान बहुत महत्वपूर्ण है। भारत में लोकतंत्र भारत के लोगों को स्वतंत्रता, समानता और न्याय प्रदान करता है।

भारत में लोकतंत्र क्यों महत्वपूर्ण है?

लोकतांत्रिक राष्ट्र में लोकतंत्र प्रत्येक नागरिक को समान अधिकार और स्वतंत्रता प्रदान करता है। लोग अपनी संस्कृति का पालन कर सकें और स्वतंत्रता के साथ रह सकें। भारत जैसे देश में लोकतंत्र एक बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। भारत धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता वाले लोगों की भूमि है। राष्ट्र में प्रत्येक व्यक्ति अपनी आस्था के अनुसार धर्म का पालन करने के लिए स्वतंत्र है।

लोकतंत्र प्रत्येक नागरिक में देश के अन्य लोगों के प्रति प्रेम और सम्मान को बढ़ावा देता है। यह लोकतंत्र की ही ताकत है जो भारत के लोगों को वर्षों तक प्रेम, शांति और सद्भाव के सूत्र में बांधे रखती है। भारत और उसके नागरिकों की प्रगति और विकास के लिए लोकतंत्र भी महत्वपूर्ण है।

उन देशों के विपरीत जहां अन्य प्रकार की सरकारें मौजूद हैं, लोकतंत्र हमें देश में किसी भी गलत चीज के खिलाफ आवाज उठाने की अनुमति देता है। लोकतंत्र भारत की जनता के लिए सर्वोत्तम उपहार है। देश के लोगों को लोकतंत्र के महत्व को समझना चाहिए और अच्छे नागरिक के रूप में देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

लोकतंत्र पर 500 शब्दों का निबंध (500 Words Essay On Democracy in Hindi)

सबसे पहले, लोकतंत्र सरकार की एक प्रणाली को संदर्भित करता है जहां नागरिक मतदान द्वारा शक्ति का प्रयोग करते हैं। भारत में लोकतंत्र का विशेष स्थान है। इसके अलावा, भारत बिना किसी संदेह के दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। साथ ही, भारत का लोकतंत्र भारत के संविधान से लिया गया है। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के हाथों पीड़ित होने के बाद, भारत अंततः 1947 में एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि स्वतंत्रता के बाद से भारतीय लोकतंत्र न्याय, स्वतंत्रता और समानता की भावना से ओत-प्रोत है।

भारतीय लोकतंत्र की विशेषताएं

संप्रभुता भारतीय लोकतंत्र की एक महत्वपूर्ण विशेषता है। संप्रभुता का तात्पर्य बाहरी हस्तक्षेप के बिना अपने ऊपर शासी निकाय की पूर्ण शक्ति से है। इसके अलावा, भारतीय लोकतंत्र में लोग सत्ता का प्रयोग कर सकते हैं। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारत की जनता अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है। इसके अलावा, ये प्रतिनिधि आम लोगों के प्रति जिम्मेदार रहते हैं।

भारत में लोकतंत्र राजनीतिक समानता के सिद्धांत पर काम करता है। इसके अलावा, इसका अनिवार्य रूप से मतलब है कि कानून के समक्ष सभी नागरिक समान हैं। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि यहां धर्म, जाति, पंथ, नस्ल, संप्रदाय आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है। इसलिए, प्रत्येक भारतीय नागरिक को समान राजनीतिक अधिकार प्राप्त हैं।

बहुमत का शासन भारतीय लोकतंत्र की एक अनिवार्य विशेषता है। इसके अलावा, जो पार्टी सबसे अधिक सीटें जीतती है वह सरकार बनाती है और चलाती है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि बहुमत के समर्थन पर किसी को भी आपत्ति नहीं हो सकती।

भारतीय लोकतंत्र की एक अन्य विशेषता संघीय है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारत राज्यों का एक संघ है। इसके अलावा, राज्य कुछ हद तक स्वायत्त हैं। इसके अलावा, राज्यों को कुछ मामलों में स्वतंत्रता प्राप्त है।

सामूहिक जिम्मेदारी भारतीय लोकतंत्र की एक उल्लेखनीय विशेषता है। भारत में मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से अपने संबंधित विधानमंडलों के प्रति उत्तरदायी है। इसलिए कोई भी मंत्री अपनी सरकार के किसी भी कृत्य के लिए अकेले जिम्मेदार नहीं है।

भारतीय लोकतंत्र जनमत निर्माण के सिद्धांत पर काम करता है। इसके अलावा, सरकार और उसकी संस्थाओं को जनता की राय के आधार पर काम करना चाहिए। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारत में विभिन्न मामलों पर जनता की राय बननी चाहिए। इसके अलावा, भारत का विधानमंडल जनता की राय व्यक्त करने के लिए एक उचित मंच प्रदान करता है।

भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने के उपाय

सबसे पहले, लोगों को मीडिया पर अंध विश्वास रखना बंद करना होगा। कई बार मीडिया द्वारा बताई गई खबरें संदर्भ से बाहर और बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जाती हैं। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि कुछ मीडिया आउटलेट किसी विशेष राजनीतिक दल का प्रचार कर सकते हैं। इसलिए, लोगों को मीडिया समाचार स्वीकार करते समय सावधान और सतर्क रहना चाहिए।

भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने का एक और महत्वपूर्ण तरीका चुनाव में उपभोक्ता मानसिकता को खारिज करना है। कई भारतीय राष्ट्रीय चुनावों को किसी उत्पाद को खरीदने वाले उपभोक्ताओं की तरह देखते हैं। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि चुनावों से भारतीयों को अलगाववादियों के बजाय प्रतिभागियों की तरह महसूस होना चाहिए।

भारत में लोगों को अपनी आवाज़ सुननी चाहिए। इसके अलावा, लोगों को अपने निर्वाचित अधिकारी के साथ केवल चुनावों के दौरान ही नहीं बल्कि पूरे वर्ष संवाद करने का प्रयास करना चाहिए। इसलिए, नागरिकों को अपने निर्वाचित अधिकारी के साथ संवाद करने के लिए लिखना, कॉल करना, ईमेल करना या सामुदायिक मंचों पर उपस्थित होना चाहिए। इससे निश्चित ही भारतीय लोकतंत्र मजबूत होगा।

भारी मतदान प्रतिशत वास्तव में भारत में लोकतंत्र को मजबूत करने का एक प्रभावी तरीका है। लोगों को झिझक से बचना चाहिए और वोट देने के लिए निकलना चाहिए। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि भारी मतदान भारतीय राजनीति में आम लोगों की पर्याप्त भागीदारी का प्रतीक होगा।

निष्कर्षतः , भारत में लोकतंत्र बहुत कीमती है। इसके अलावा, यह भारत के नागरिकों को देशभक्त राष्ट्रीय नेताओं का एक उपहार है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इस देश के नागरिकों को लोकतंत्र के महान मूल्य को समझना चाहिए और उसकी सराहना करनी चाहिए। भारत का लोकतंत्र निश्चित ही विश्व में अद्वितीय है।

लोकतंत्र पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: (FAQs)

Q.1 लोकतंत्र का वास्तविक अर्थ क्या है.

उत्तर. लोकतंत्र उस व्यवस्था को संदर्भित करता है जिसमें किसी देश में सरकार का गठन चुनाव के बाद प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लोगों के निर्णय से होता है।

Q.2 भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र क्यों है?

उत्तर. भारत क्षेत्रफल में सातवां सबसे बड़ा और जनसंख्या में दूसरा सबसे बड़ा देश है, साथ ही विकसित राजनीति के कारण इसे दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र का सम्मान प्राप्त है।

Q.3 लोकतंत्र लोगों के लिए किस प्रकार लाभदायक है?

उत्तर. लोकतंत्र किसी देश के सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समानता प्रदान करता है, और लोगों को यह बताने की शक्ति प्रदान करता है कि उन पर कैसे और कौन शासन करेगा।

Q.4 सबसे पुराना लोकतंत्र कौन सा है?

उत्तर. आइल ऑफ मैन पर स्थित टाइनवाल्ड को सबसे पुराना लोकतंत्र माना जाता है जिसकी उत्पत्ति 9वीं शताब्दी में हुई थी।

Question and Answer forum for K12 Students

Democracy in India Essay in Hindi

भारत में लोकतंत्र पर निबंध – Democracy in India Essay in Hindi

भारत में लोकतंत्र पर बड़े तथा छोटे निबंध (essay on democracy in india in hindi), जनतंत्र का आधार चुनाव – democracy’s base election.

  • प्रस्तावना,
  • जनता और चुनाव,
  • राजनैतिक दल और नेता,
  • चुनाव प्रचार,
  • चुनाव का दिन,

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रस्तावना- चुनाव लोकतंत्र का आधार है। एक निश्चित समय के लिए जनता अपने प्रतिनिधि चुनती है। ये लोग मिलकर देश की व्यवस्था चलाने के लिए सरकार का गठन करते हैं। संविधान द्वारा अधिकार प्राप्त आयोग चुनाव कराने की व्यवस्था करता है। उसका दायित्व स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना होता है। लोकतंत्र के लिए चुनाव आवश्यक है। उसके बिना लोकतंत्र नहीं चल सकता।

जनता और चुनाव- चुनाव का अधिकार जनता को होता है। भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक वयस्क स्त्री-पुरुष को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है। पच्चीस वर्ष का होने के बाद प्रत्येक स्त्री-पुरुष को चुनाव में खड़ा होने का अपि कार है। हमारे देश में अनेक राजनैतिक दल हैं। ये दल चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करते हैं। जनता जिसको पसन्द करती है उसको वोट देकर अपना प्रतिनिधि चुनती है। इस प्रकार निर्वाचन में जनता बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। उसके बिना निर्वाचन का कार्य हो ही नहीं सकता।

राजनैतिक दल और नेता- भारत में अनेक राजनैतिक दल हैं। इनमें दो-चार राष्ट्रीय स्तर के तथा शेष सभी क्षेत्रीय दल हैं। ये चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारते हैं। कुछ लोग निर्दलीय रूप से भी चुनाव लड़ते हैं। चुनाव की घोषणा होने पर राजनैतिक दल किसी क्षेत्र से एक उम्मीदवार को टिकट देता है।

टिकट पाने के लिए भीषण मारामारी होती है। उससे आपसी सद्भाव टूटता है, जातिवाद तथा सम्प्रदायवाद बढ़ता है, एक-दूसरे के विरुद्ध आरोप-प्रत्यारोप लगाये जाते हैं। इस प्रकार चुनाव शांति और गम्भीरता के साथ नहीं हो पाता।

चुनाव प्रचार- नामांकन पूरा होने के साथ ही प्रत्याशी तथा दल अपना प्रचार आरम्भ कर देते हैं। इसके लिए अखबारों तथा दूरदर्शन पर विज्ञापन दिए जाते हैं, जनसभाएँ होती हैं, झण्डा-बैनर आदि का प्रयोग होता है, जुलूस निकाले जाते. अन्त में प्रत्याशी अपने मतदाताओं से व्यक्तिगत सम्पर्क करता है।

उस समय वह विनम्रता की साकार मूर्ति बन जाता है। जनता के लिए यह समय बड़ा महत्त्वपूर्ण होता है। वैसे कोई उसे पूछे या न पूछे, इस समय नेतागण उसके घर की धूल ले लेते है। चुनाव प्रचार का समय बड़ा कठिन होता है।

इस समय दंगे तथा झगड़े होने का भय सदा बना रहता है। चुनाव से पूर्व प्रचार बन्द हो जाता है। कुछ स्वार्थी नेता रात के अंधेरे में वोटरों को नकद रुपया तथा शराब देकर उनको अपने पक्ष में वोट देने के लिए तैयार करते हैं।

चुनाव का दिन निर्वाचन आयोग चुनाव की व्यवस्था करता है। मतदान केन्द्र पर मतदान अधिकारी उपस्थित रहते हैं जो मतदान कराते हैं। अपने मतदान केन्द्र पर जाकर निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार मतदाता मतदान करता है।

आजकल ई. वी. एम. का बटन दबाकर मतदान कराया जाता है। इस मशीन में प्रत्येक प्रत्याशी का नाम तथा चुनाव-चिह्न अंकित होता है। उसके एक्सीलेण्ट सामने लगा बटन दबाने से उसको वोट मिल जाता है। अब सबसे नीचे एक बटन नोटा अर्थात् इनमें से कोई नहीं का भी होता है।

जिस मतदाता को कोई उम्मीदवार पसंद नहीं होता वह नोटा का बटन दबाता है। चुनाव शांतिपूर्वक कराने की कठोर व्यवस्था की जाती है तथा पुलिस और सुरक्षा बलों की ड्यूटी लगाई जाती है। किन्तु कुछ स्थानों पर मारपीट, बूथ कैप्चरिंग, गोलीबारी आदि की घटनाएँ होती हैं।

मतगणना- मतदान का काम समाप्त होने के पश्चात् मतगणना की जाती है। गणना में जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा मत मिलते हैं उसे विजयी घोषित किया जाता है। जिस दल को बहुमत प्राप्त होता है, उसके विजयी उम्मीदवार अपना एक नेता चुनते हैं।

वही प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है और शासन-व्यवस्था सँभालता है।

उपसंहार- चुनाव में भाग लेने वाले मतदाता को जाति, धर्म अथवा अन्य दबाव से मुक्त होकर वोट करना चाहिए। उसे निष्पक्ष होकर सुयोग्य उम्मीदवार का ही चयन करना चाहिए। इधर ई. वी. एम. मशीन की प्रामाणिकता को लेकर, उत्तर-प्रदेश आदि राज्यों के चुनाव परिणामों के पश्चात्, शंका युक्त सवाल भी उठे हैं। किन्तु ये शंकाएँ वास्तविक कम और पराजय की पीड़ा को व्यक्त करने वाली ही अधिक प्रतीत होती हैं। कुल मिलाकर हमारा निर्वाचन आयोग अपनी सुव्यवस्था के लिए बधाई का पात्र सिद्ध होता है। निष्पक्ष और त्रुटिरहित मतदान ही लोकतंत्र का मूलाधार है।

दा इंडियन वायर

भारत में लोकतंत्र पर निबंध

essay on democracy in india in hindi

By विकास सिंह

essay on democracy in india in hindi

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। विभिन्न राजाओं और सम्राटों द्वारा शासित और यूरोपीय लोगों द्वारा सदियों से उपनिवेश बनाए गए भारत को वर्ष 1947 में अपनी स्वतंत्रता मिली और यह एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया। इसके बाद, भारत के नागरिकों को अपने नेताओं को वोट देने और चुनाव करने का अधिकार दिया गया।

दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश और क्षेत्रफल के हिसाब से सातवां सबसे बड़ा देश, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। 1947 में देश को आजादी मिलने के बाद भारतीय लोकतांत्रिक सरकार का गठन किया गया था। केंद्र और राज्य सरकारों को चुनने के लिए संसदीय और राज्य विधानसभा चुनाव हर 5 साल में होते हैं।

भारत में लोकतंत्र पर निबंध, democracy in india essay in hindi (200 शब्द)

लोकतंत्र सरकार की एक प्रणाली है जो नागरिकों को वोट देने और अपनी पसंद की सरकार चुनने की अनुमति देती है। 1947 में ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद भारत एक लोकतांत्रिक राज्य बन गया। यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र है।

भारत में लोकतंत्र अपने नागरिकों को उनकी जाति, रंग, पंथ, धर्म और लिंग के बावजूद वोट देने का अधिकार देता है। इसके पांच लोकतांत्रिक सिद्धांत हैं – संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक और गणतंत्र।

विभिन्न राजनीतिक दल समय-समय पर राज्य के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी चुनाव के लिए खड़े होते हैं। वे अपने पिछले कार्यकाल में किए गए कार्यों के बारे में प्रचार करते हैं और अपनी भविष्य की योजनाओं को भी लोगों के साथ साझा करते हैं। 18 वर्ष से अधिक आयु के भारत के प्रत्येक नागरिक को मतदान का अधिकार है। अधिक से अधिक लोगों को वोट डालने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। लोगों को चुनाव के लिए खड़े उम्मीदवारों के बारे में सब कुछ पता होना चाहिए और सुशासन के लिए सबसे योग्य एक के लिए मतदान करना चाहिए।

भारत एक सफल लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए जाना जाता है। हालांकि, कुछ खामियां हैं जिन पर काम करने की जरूरत है। अन्य बातों के अलावा, सरकार को सच्चे अर्थों में लोकतंत्र को सुनिश्चित करने के लिए गरीबी, अशिक्षा, सांप्रदायिकता, लैंगिक भेदभाव और जातिवाद को खत्म करने पर काम करना चाहिए।

भारत में लोकतंत्र पर निबंध, Essay on democracy in india in hindi (300 शब्द)

लोकतंत्र को सरकार का सबसे अच्छा रूप कहा जाता है। यह देश के प्रत्येक नागरिक को वोट डालने और अपने नेताओं को उनकी जाति, रंग, पंथ, धर्म या लिंग के बावजूद चुनने की अनुमति देता है। सरकार देश के आम लोगों द्वारा चुनी जाती है और यह कहना गलत नहीं होगा कि यह उनकी समझदारी और जागरूकता है जो सरकार की सफलता या विफलता को निर्धारित करती है।

कई देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। हालाँकि, भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यह संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक और गणतंत्र सहित पांच लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर चलता है। 1947 में अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन से आजादी मिलने के बाद भारत को एक लोकतांत्रिक राष्ट्र घोषित किया गया था। न केवल सबसे बड़ा, भारतीय लोकतंत्र को सबसे सफल लोगों में से एक माना जाता है।

भारत में केंद्र में एक सरकार के साथ लोकतंत्र का एक संघीय रूप है जो संसद और राज्य सरकारों के लिए जिम्मेदार है जो उनकी विधानसभाओं के लिए समान रूप से जवाबदेह हैं। काउंटी में नियमित अंतराल पर चुनाव होते हैं और कई दलों को केंद्र में आने और राज्यों में अपनी जगह बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है।

सबसे योग्य उम्मीदवार का चुनाव करने के लिए लोगों को वोट देने के अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, हालांकि भारतीय राजनीति में जाति भी एक बड़ा कारक है। विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा लोगों के लाभ के लिए उनके भविष्य के एजेंडे पर काम करने के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों पर जोर देने के लिए अभियान चलाए जाते हैं।

भारत में लोकतंत्र का अर्थ केवल वोट देने का अधिकार प्रदान करना नहीं है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता सुनिश्चित करना है। जबकि देश की लोकतांत्रिक प्रणाली को दुनिया भर में सराहना मिली है, ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनमें सुधार की आवश्यकता है ताकि सच्चे अर्थों में लोकतंत्र का निर्माण हो सके। सरकार को अशिक्षा, गरीबी, सांप्रदायिकता, जातिवाद और अन्य चीजों में लैंगिक भेदभाव को खत्म करने पर काम करना चाहिए।

भारत में लोकतंत्र का भविष्य पर निबंध, future of democracy in india in hindi (400 शब्द)

लोकतंत्र जनता का, जनता से और जनता के लिए सरकार है। एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में नागरिकों को वोट देने और अपनी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त है।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। सदियों तक मुगलों, मौर्यों, अंग्रेजों और कई अन्य शासकों द्वारा शासित होने के बाद, भारत 1947 में अपनी स्वतंत्रता के बाद अंततः एक लोकतांत्रिक राज्य बन गया। देश की जनता, जो विदेशी शक्तियों के हाथों पीड़ित थी, को आखिरकार अपने नेताओं को चुनने का अधिकार मिल गया।

भारत में लोकतंत्र केवल अपने नागरिकों को वोट देने का अधिकार प्रदान करने तक सीमित नहीं है, यह सामाजिक और आर्थिक समानता की दिशा में भी काम कर रहा है।

भारत में लोकतंत्र पांच लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर काम करता है। य़े हैं:

  • सार्वभौम: इसका अर्थ है किसी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त होना।
  • समाजवादी: इसका अर्थ है सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।
  • धर्मनिरपेक्ष: इसका मतलब है किसी भी धर्म का अभ्यास करना या सभी को अस्वीकार करना।
  • लोकतांत्रिक: इसका मतलब है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा चुनी जाती है।
  • गणतंत्र: इसका मतलब है कि देश का मुखिया वंशानुगत राजा या रानी नहीं है।

भारत में लोकतंत्र का कार्य:

18 वर्ष से अधिक आयु का प्रत्येक भारतीय नागरिक, भारत में मतदान के अधिकार का प्रयोग कर सकता है। मतदान का अधिकार प्रदान करने के समय किसी व्यक्ति की जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाता है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC), भारतीय जनता पार्टी (BJP), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी -Marxist (CPI -M), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (TMC) सहित कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवार बहुजन समाज पार्टी (बसपा) चुनाव लड़ती है। उम्मीदवार इन दलों या उनके प्रतिनिधियों के अंतिम कार्यकाल के दौरान उनके काम का मूल्यांकन करते हैं और साथ ही उनके द्वारा किए गए वादों को भी तय करते हैं कि किसे वोट देना है।

सुधार के लिए गुंजाइश:

भारतीय लोकतंत्र में सुधार की बहुत गुंजाइश है। इसके लिए ये कदम उठाए जाने चाहिए:

  • गरीबी उन्मूलन
  • साक्षरता को बढ़ावा देना
  • लोगों को मतदान के लिए प्रोत्साहित करें
  • सही उम्मीदवार चुनने पर लोगों को शिक्षित करें
  • नेतृत्व भूमिका निभाने के लिए बुद्धिमान और शिक्षित लोगों को प्रोत्साहित करें
  • साम्प्रदायिकता को मिटाओ
  • निष्पक्ष और जिम्मेदार मीडिया सुनिश्चित करें
  • निर्वाचित सदस्यों के काम की निगरानी करें
  • फार्म जिम्मेदार विपक्ष

निष्कर्ष:

हालांकि भारत में लोकतंत्र को इसके काम करने के लिए दुनिया भर में सराहा गया है लेकिन अभी भी इसमें सुधार की बहुत गुंजाइश है। देश में लोकतंत्र के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए उपरोक्त कदम उठाए जाने चाहिए।

भारत में लोकतंत्र पर निबंध, democracy in india in hindi (500 शब्द)

प्रस्तावना:.

एक लोकतांत्रिक राष्ट्र वह है जहां नागरिकों को अपनी सरकार चुनने का अधिकार है। इसे कभी-कभी “बहुमत का शासन” भी कहा जाता है। दुनिया भर के कई देश लोकतांत्रिक सरकार चलाते हैं लेकिन भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र होने पर गर्व करता है।

भारत में लोकतंत्र का इतिहास:

भारत पर मुगलों से लेकर मौर्यों तक कई शासकों का शासन था। उनमें से प्रत्येक की लोगों को शासन करने की अपनी शैली थी। 1947 में ब्रिटिशों के औपनिवेशिक शासन से देश को आज़ादी मिलने के बाद ही यह एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बना। यह तब था जब भारत के लोग, जिन्होंने अंग्रेजों के हाथों अत्याचार झेले थे, उन्होंने पहली बार अपनी सरकार को वोट देने और चुनाव करने का अधिकार प्राप्त किया।

भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांत:

सॉवरेन :  सॉवरिन एक ऐसी इकाई को संदर्भित करता है जो किसी भी विदेशी शक्ति के नियंत्रण से मुक्त है। भारत के नागरिक अपने मंत्रियों को चुनने के लिए संप्रभु सत्ता का आनंद लेते हैं।

समाजवादी :  समाजवादी का अर्थ है भारत के सभी नागरिकों को उनकी जाति, रंग, पंथ, लिंग और धर्म के बावजूद सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।

धर्म निरपेक्ष :  धर्मनिरपेक्ष का अर्थ है किसी की पसंद के धर्म का अभ्यास करने की स्वतंत्रता। देश में कोई आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है।

डेमोक्रेटिक :  इसका मतलब है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा चुनी जाती है। मतदान का अधिकार सभी भारतीय नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के दिया जाता है।

गणतंत्र:  देश का मुखिया वंशानुगत राजा या रानी नहीं होता है। वह एक निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है।

18 वर्ष से अधिक आयु के भारत के प्रत्येक नागरिक को मतदान का अधिकार है। संविधान उनकी जाति, रंग, पंथ, लिंग, धर्म या शिक्षा के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं करता है।

देश में सात राष्ट्रीय दल हैं, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC), भारतीय जनता पार्टी (BJP), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी -Marxist (CPI-M), नेशनल कांग्रेस पार्टी (NCP) , अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (TMC) और बहुजन समाज पार्टी (BSP)।

इनके अलावा, कई क्षेत्रीय दल हैं जो राज्य विधानसभाओं के लिए चुनाव लड़ते हैं। चुनाव समय-समय पर आयोजित किए जाते हैं और लोग अपने प्रतिनिधियों को चुनने के लिए मतदान के अधिकार का प्रयोग करते हैं। सरकार लगातार अधिक से अधिक लोगों को प्रोत्साहित कर रही है कि वे सुशासन का चयन करने के लिए मतदान के अपने अधिकार का उपयोग करें।

भारत में लोकतंत्र केवल लोगों को वोट देने का अधिकार देना नहीं है बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में समानता सुनिश्चित करना है।

भारत में लोकतंत्र के कामकाज में बाधा:

जबकि चुनाव सही समय पर होते रहे हैं और लोकतंत्र को लेकर भारत में लोकतंत्र की अवधारणा के अस्तित्व में आने के बाद से ही एक व्यवस्थित दृष्टिकोण का पालन किया जाता है, देश में लोकतंत्र के सुचारू संचालन में कई बाधाएं हैं। इनमें अशिक्षा, लैंगिक भेदभाव, गरीबी, सांस्कृतिक असमानता, राजनीतिक प्रभाव, जातिवाद और सांप्रदायिकता शामिल हैं। ये सभी कारक भारत में लोकतंत्र को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं।

जबकि भारत में लोकतंत्र को दुनिया भर में सराहा गया है, अभी भी मीलों चलना बाकी है। अशिक्षा, गरीबी, लिंग भेदभाव और सांप्रदायिकता जैसे कारक जो भारत में लोकतंत्र के काम को प्रभावित करते हैं, नागरिकों को सच्चे अर्थों में लोकतंत्र का आनंद लेने की अनुमति देने के लिए इसे खत्म करने की आवश्यकता है।

भारत में लोकतंत्र पर निबंध, democracy in india essay in hindi (600 शब्द)

1947 में राष्ट्र को ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त कराने के बाद भारत में लोकतंत्र का गठन किया गया था। इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का जन्म किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभावी नेतृत्व में, भारत के लोगों ने अपनी सरकार को वोट देने और निर्वाचित करने का अधिकार प्राप्त किया।

देश में कुल सात राष्ट्रीय दल हैं- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), भारतीय जनता पार्टी (BJP), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी -Marist (CPI-) M), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (TMC) और बहुजन समाज पार्टी (BSP)। इनके अलावा, कई क्षेत्रीय दल राज्य विधानसभाओं के चुनाव के लिए आगे आते हैं। संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनाव हर 5 साल में होते हैं।

यहां भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांत दिए गए हैं:

संप्रभु:  संप्रभु का मतलब स्वतंत्र है – किसी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त। देश की सरकार सीधे देश के नागरिकों द्वारा चुनी जाती है। भारतीय नागरिकों के पास संसद, स्थानीय निकायों के साथ-साथ राज्य विधानमंडल के लिए आयोजित चुनावों द्वारा अपने नेताओं को चुनने की संप्रभु शक्ति है।

समाजवादी:  समाजवादी का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता। लोकतांत्रिक समाजवाद का अर्थ है विकासवादी, लोकतांत्रिक और अहिंसक साधनों के माध्यम से समाजवादी लक्ष्यों को प्राप्त करना। सरकार धन की एकाग्रता को कम करके आर्थिक असमानता को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

धर्म निरपेक्ष:  इसका अर्थ है किसी के धर्म को चुनने का अधिकार और स्वतंत्रता। भारत में, किसी को भी किसी भी धर्म का अभ्यास करने या उन सभी को अस्वीकार करने का अधिकार है। भारत सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है और उनका कोई आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है। यह किसी भी धर्म का अपमान या प्रचार नहीं करता है।

डेमोक्रेटिक:  इसका मतलब है कि देश की सरकार को लोकतांत्रिक तरीके से अपने नागरिकों द्वारा चुना जाता है। सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के माध्यम से देश के लोगों को सभी स्तरों (संघ, राज्य और स्थानीय) पर अपनी सरकार का चुनाव करने का अधिकार है, जिसे known एक आदमी एक वोट ’के रूप में भी जाना जाता है। वोट का अधिकार बिना किसी भेदभाव के रंग, जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर दिया जाता है। सिर्फ राजनीतिक ही नहीं, भारत के लोग भी सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र का आनंद लेते हैं।

गणतंत्र:  यहाँ राज्य का मुखिया एक आनुवंशिकता राजा या रानी नहीं है, बल्कि एक निर्वाचित व्यक्ति है। राज्य के औपचारिक प्रमुख, यानी भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा पांच साल की अवधि के लिए किया जाता है, जबकि कार्यकारी शक्तियां प्रधानमंत्री में निहित होती हैं।

भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियां :

जबकि संविधान एक लोकतांत्रिक राज्य का वादा करता है और भारत के लोग उन सभी अधिकारों के हकदार हैं जो एक लोकतांत्रिक राज्य में आनंद लेने चाहिए, ऐसे कई कारक हैं जो इसके लोकतंत्र को प्रभावित करते हैं और इसके लिए एक चुनौती पेश करते हैं। इन कारकों पर एक नज़र है:

निरक्षरता:  लोगों के बीच निरक्षरता सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है जिसे भारतीय लोकतंत्र ने शुरू से ही सामना किया है। शिक्षा लोगों को बुद्धिमानी से मतदान करने के अपने अधिकार का उपयोग करने में सक्षम बनाती है।

दरिद्रता:  गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों को आमतौर पर राजनीतिक दलों द्वारा हेरफेर किया जाता है। उन्हें अक्सर अपना वोट हासिल करने के लिए रिश्वत दी जाती है।

इनके अलावा, जातिवाद, लैंगिक भेदभाव, सांप्रदायिकता, धार्मिक कट्टरवाद, राजनीतिक हिंसा और भ्रष्टाचार अन्य कारक हैं जो भारत में लोकतंत्र के लिए एक चुनौती हैं।

भारत में लोकतंत्र को दुनिया भर से सराहना मिली है। देश के प्रत्येक नागरिक को वोट देने का अधिकार उनकी जाति, रंग, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर बिना किसी भेदभाव के दिया गया है। हालांकि, देश में विशाल सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई विविधता इसके लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है।

इससे उत्पन्न मतभेद, गंभीर चिंता का कारण हैं। भारत में लोकतंत्र के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए इन विभाजनकारी प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।

[ratemypost]

इस लेख से सम्बंधित अपने सवाल और सुझाव आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

Related Post

Paper leak: लाचार व्यवस्था, हताश युवा… पर्चा लीक का ‘अमृत काल’, केंद्र ने पीएचडी और पोस्ट-डॉक्टोरल फ़ेलोशिप के लिए वन-स्टॉप पोर्टल किया लॉन्च, एडसिल विद्यांजलि छात्रवृत्ति कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ, 70 छात्रों को मिलेगी 5 करोड़ की छात्रवृत्ति, one thought on “भारत में लोकतंत्र पर निबंध”.

Very informative and Systematic Article about Democracy. Really Nice Content.

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Paris Olympic 2024: “जलवायु आपातकाल” के बीच ऐतिहासिक आयोजन

25 जुलाई को मनाया जायेगा संविधान हत्या दिवस – अमित शाह, आईएएस पूजा खेड़कर – जानिए पूरी कहानी, कीर स्टार्मर ब्रिटेन के नये प्रधानमंत्री बनने को तैयार.

  • Study Material

essay on democracy in india in hindi

लोकतंत्र पर निबंध – Essay on Democracy in Hindi

Essay on Democracy in Hindi:  आज हम  500+ लोकतंत्र पर निबंध  हिंदी में लिखने वाले हैं। यह निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है।

लोकतंत्र पर निबंध – Essay on Democracy in Hindi

लोकतंत्र को सरकार के बेहतरीन रूप के रूप में जाना जाता है। ऐसा क्यों? क्योंकि लोकतंत्र में देश की जनता अपनी सरकार चुनती है। वे कुछ अधिकारों का आनंद लेते हैं जो किसी भी मनुष्य के लिए स्वतंत्र रूप से और खुशी से जीने के लिए बहुत आवश्यक हैं।

Essay on Democracy in Hindi

दुनिया में विभिन्न लोकतांत्रिक देश हैं , लेकिन भारत सबसे बड़ा है। लोकतंत्र समय की कसौटी पर खरा उतरा है, और जबकि अन्य रूपों में सरकार विफल रही है, लोकतंत्र मजबूत हुआ। यह समय और फिर से इसके महत्व और प्रभाव को साबित करता है।

एक लोकतंत्र का महत्व

मानव विकास के लिए लोकतंत्र बहुत महत्वपूर्ण है । जब लोगों के पास स्वतंत्र रूप से जीने की इच्छा होगी, तो वे अधिक खुश रहेंगे। इसके अलावा, हमने देखा है कि सरकार के अन्य रूप कैसे बदल गए हैं। नागरिक एक राजशाही या अराजकता में खुश और समृद्ध नहीं हैं।

इसके अलावा, लोकतंत्र लोगों को समान अधिकार देता है। यह सुनिश्चित करता है कि पूरे देश में समानता बनी रहे। इसके बाद, यह उन्हें कर्तव्य भी देता है। ये कर्तव्य उन्हें बेहतर नागरिक बनाते हैं और उनके समग्र विकास के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोकतंत्र में लोग सरकार बनाते हैं। इसलिए, नागरिकों द्वारा सरकार का यह चयन सभी को अपने देश के लिए काम करने का मौका देता है। यह कानून को कुशलता से लागू करने की अनुमति देता है क्योंकि नियम उन लोगों द्वारा बनाए जाते हैं जिन्हें उन्होंने चुना है।

इसके अलावा, लोकतंत्र विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोगों को शांति से रहने की अनुमति देता है। यह उन्हें एक दूसरे के साथ सद्भाव में रहता है। लोकतंत्र के लोग अधिक सहिष्णु हैं और एक दूसरे के मतभेदों को स्वीकार करते हैं। किसी भी देश के लिए खुश और समृद्ध होना बहुत जरूरी है।

भारत: एक लोकतांत्रिक देश

भारत पूरे विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्र माना जाता है। 1947 में अंग्रेजों का शासन समाप्त होने के बाद , भारत ने लोकतंत्र को अपनाया। भारत में, 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार मिलता है। यह जाति, पंथ, लिंग, रंग, या अधिक के आधार पर भेदभाव नहीं करता है।

इसके अलावा, यह लोकतंत्र के पांच सिद्धांतों का पालन करता है। वे धर्मनिरपेक्ष , संप्रभु, गणराज्य, समाजवादी और लोकतांत्रिक हैं। ये सभी भारत के लोकतंत्र को बनाए रखते हैं। इन सिद्धांतों के बाद, राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं और अधिकांश वोटों से जीतते हैं। हालाँकि, भारत के नागरिक बहुतायत में मतदान नहीं करते हैं। बेहतर भविष्य के लिए मतदान को प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

हालांकि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है लेकिन अभी भी इसे लंबा रास्ता तय करना है। देश को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जो इसे एक लोकतंत्र के रूप में कुशलता से काम नहीं करने देते हैं। जाति व्यवस्था अभी भी प्रचलित है जो लोकतंत्र के समाजवादी सिद्धांत के साथ विरोध करती है। इसके अलावा, सांप्रदायिकता भी बढ़ रही है। यह देश के धर्मनिरपेक्ष पहलू के साथ हस्तक्षेप करता है। नागरिकों के सुख और समृद्धि को सुनिश्चित करने के लिए इन सभी अंतरों को अलग करने की आवश्यकता है।

500+ Essays in Hindi – सभी विषय पर 500 से अधिक निबंध

संक्षेप में, भारत में लोकतंत्र अभी भी अधिकांश देशों की तुलना में बेहतर है। बहरहाल, सुधार के लिए बहुत जगह है जिस पर हमें ध्यान केंद्रित करना चाहिए। कोई भेदभाव न हो, इसके लिए सरकार को कड़े कानून लागू करने चाहिए। इसके अतिरिक्त, नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए।

RELATED ARTICLES MORE FROM AUTHOR

essay on democracy in india in hindi

How to Write an AP English Essay

Essay on India Gate in Hindi

इंडिया गेट पर निबंध – Essay on India Gate in Hindi

Essay on Population Growth in Hindi

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध – Essay on Population Growth in Hindi

Leave a reply cancel reply.

Log in to leave a comment

Essays - निबंध

10 lines on diwali in hindi – दिवाली पर 10 लाइनें पंक्तियाँ, essay on my school in english, essay on women empowerment in english, essay on mahatma gandhi in english, essay on pollution in english.

  • Privacy Policy

Drishti IAS

  • मासिक मैगज़ीन
  • इंटरव्यू गाइडेंस
  • ऑनलाइन कोर्स
  • कक्षा कार्यक्रम
  • दृष्टि वेब स्टोर
  • नोट्स की सूची
  • नोट्स बनाएँ
  • माय प्रोफाइल
  • माय बुकमार्क्स
  • माय प्रोग्रेस
  • पासवर्ड बदलें
  • संपादक की कलम से
  • नई वेबसाइट का लाभ कैसे उठाए?
  • डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम
  • बिगनर्स के लिये सुझाव

एचीवर्स कॉर्नर

  • टॉपर्स कॉपी
  • टॉपर्स इंटरव्यू

हमारे बारे में

  • सामान्य परिचय
  • 'दृष्टि द विज़न' संस्थान
  • दृष्टि पब्लिकेशन
  • दृष्टि मीडिया
  • प्रबंध निदेशक
  • इंफ्रास्ट्रक्चर
  • प्रारंभिक परीक्षा
  • प्रिलिम्स विश्लेषण
  • 60 Steps To Prelims
  • प्रिलिम्स रिफ्रेशर प्रोग्राम 2020
  • डेली एडिटोरियल टेस्ट
  • डेली करेंट टेस्ट
  • साप्ताहिक रिवीज़न
  • एन. सी. ई. आर. टी. टेस्ट
  • आर्थिक सर्वेक्षण टेस्ट
  • सीसैट टेस्ट
  • सामान्य अध्ययन टेस्ट
  • योजना एवं कुरुक्षेत्र टेस्ट
  • डाउन टू अर्थ टेस्ट
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी टेस्ट
  • सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक परीक्षा)
  • सीसैट (प्रारंभिक परीक्षा)
  • मुख्य परीक्षा (वर्षवार)
  • मुख्य परीक्षा (विषयानुसार)
  • 2018 प्रारंभिक परीक्षा
  • टेस्ट सीरीज़ के लिये नामांकन
  • फ्री मॉक टेस्ट
  • मुख्य परीक्षा
  • मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
  • निबंध उपयोगी उद्धरण
  • टॉपर्स के निबंध
  • साप्ताहिक निबंध प्रतियोगिता
  • सामान्य अध्ययन
  • हिंदी साहित्य
  • दर्शनशास्त्र
  • हिंदी अनिवार्य
  • Be Mains Ready
  • 'AWAKE' : मुख्य परीक्षा-2020
  • ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.एस.सी.)
  • मेन्स टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.)
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्य प्रदेश

टेस्ट सीरीज़

  • UPSC प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
  • UPSC मेन्स टेस्ट सीरीज़
  • UPPCS प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
  • UPPCS मेन्स टेस्ट सीरीज़

करेंट अफेयर्स

  • डेली न्यूज़, एडिटोरियल और प्रिलिम्स फैक्ट
  • डेली अपडेट्स के लिये सबस्क्राइब करें
  • संसद टीवी संवाद
  • आर्थिक सर्वेक्षण

दृष्टि स्पेशल्स

  • चर्चित मुद्दे
  • महत्त्वपूर्ण संस्थान/संगठन
  • मैप के माध्यम से अध्ययन
  • महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट्स की जिस्ट
  • पीआरएस कैप्सूल्स
  • एनसीईआरटी बुक्स
  • एनआईओएस स्टडी मैटिरियल
  • इग्नू स्टडी मैटिरियल
  • योजना और कुरुक्षेत्र
  • इन्फोग्राफिक्स
  • मासिक करेंट अपडेट्स संग्रह

वीडियो सेक्शन

  • मेन्स (जी.एस.) डिस्कशन
  • मेन्स (ओप्शनल) डिस्कशन
  • करेंट न्यूज़ बुलेटिन
  • मॉक इंटरव्यू
  • टॉपर्स व्यू
  • सरकारी योजनाएँ
  • ऑडियो आर्टिकल्स
  • उत्तर लेखन की रणनीति
  • कॉन्सेप्ट टॉक : डॉ. विकास दिव्यकीर्ति
  • दृष्टि आईएएस के बारे में जानें

सिविल सेवा परीक्षा

  • परीक्षा का प्रारूप
  • सिविल सेवा ही क्यों?
  • सिविल सेवा परीक्षा के विषय में मिथक
  • वैकल्पिक विषय
  • परीक्षा विज्ञप्ति

भारतीय राजनीति

Make Your Note

कितना सफल है भारत का लोकतंत्र

  • 07 May 2019
  • 13 min read
  • सामान्य अध्ययन-III
  • जन प्रतिनिधित्व अधिनियम

देश में लोकसभा के चुनावों का दौर चल रहा है और कहा यह जाता है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत में चुनावों को एक उत्सव की भाँति लिया जाता है। भारत के लोकतंत्र की वैश्विक प्रतिष्ठा भी है और हमारा निर्वाचन आयोग कई विकासशील एवं अल्प-विकसित देशों में होने वाले चुनावों के संचालन में सहयोग भी देता है।

लोकतंत्र सूचकांक (Democracy Index) में भारत की स्थिति

लंदन स्थित द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट हर साल दुनियाभर के देशों के लिये डेमोक्रेसी इंडेक्स यानी लोकतंत्र सूचकांक जारी करता है। 2018 के लिये 167 देशों का यह सूचकांक जारी किया गया और इसमें भारत को 41वें स्थान पर रखा गया है। पिछले साल की तुलना में भारत को एक पायदान का फायदा मिला है, लेकिन इसके बावजूद भारत को दोषपूर्ण लोकतांत्रिक (Flawed Democracy) देशों की श्रेणी में रखा गया है। जहाँ तक स्कोर का सवाल है, पिछले 11 सालों में भारत को 2017 और 2018 दोनों वर्षों में समान रूप से सबसे कम स्कोर मिला। इस रिपोर्ट में एशिया की स्थिति में सुधार की प्रशंसा की गई है। लेकिन, चिंता का विषय यह है कि एशिया के अधिकतर देशों को दोषपूर्ण लोकतांत्रिक देशों की श्रेणी में रखा गया है।

  • द इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट लंदन स्थित इकोनॉमिस्ट ग्रुप का एक हिस्सा है जिसकी स्थापना 1946 में हुई थी। यह दुनिया के बदलते हालात पर नज़र रखती है और दुनिया की आर्थिक-राजनीतिक स्थिति के पूर्वानुमान द्वारा देश विशेष की सरकार को खतरों से आगाह करती है।

पाँच पैमानों पर दी जाती है रैंकिंग

इस रिपोर्ट में दुनिया के देशों में लोकतंत्र की स्थिति का आकलन पाँच पैरामीटर्स पर किया गया है- चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद (Pluralism), सरकार की कार्यशैली, राजनीतिक भागीदारी, राजनीतिक संस्कृति और नागरिक आज़ादी। गौरतलब है कि ये सभी पैमाने एक-दूसरे से जुड़े हैं और इन पाँचों पैमानों के आधार पर ही किसी भी देश में मुक्त और स्वच्छ चुनाव और लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थिति का पता लगाया जाता है। इस रिपोर्ट में 9.87 अंकों के साथ नॉर्वे पहले स्थान पर और 1.08 अंकों के साथ उत्तर कोरिया सबसे आखिरी स्थान पर है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट में दुनिया के 167 देशों को शासन के आधार पर चार तरह के पैरामीटर्स पर रैंकिंग दी गई है, जिनमें पूर्ण लोकतंत्र, दोषपूर्ण लोकतंत्र, हाइब्रिड शासन और सत्तावादी शासन शामिल हैं।
  • 167 देशों में केवल 20 देशों को पूर्ण लोकतांत्रिक देश बताया गया है और इसके तहत 167 देशों की केवल 4.5 फीसदी आबादी शामिल है।
  • सबसे ज़्यादा 43.2 फीसदी आबादी दोषपूर्ण लोकतांत्रिक देशों में बसती है और इसके तहत कुल 55 देश शामिल हैं।
  • हाइब्रिड शासन के तहत 39 और सत्तावादी शासन के तहत 53 देशों को शामिल किया गया है।
  • मध्य-अमेरिका का कोस्टा रिका एकमात्र ऐसा देश है जिसने दोषपूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी से निकलकर पूर्ण लोकतंत्र की श्रेणी में जगह बना ली है।
  • मध्य अमेरिका के ही निकारागुआ में लोकतंत्र पर भरोसा कम हुआ है और वह दोषपूर्ण लोकतंत्र से सत्तावादी शासन की श्रेणी में चला गया है।
  • 2017 के मुकाबले 2018 में जहाँ 42 देशों के कुल स्कोर में कमी आई है, वहीं 48 देश ऐसे भी हैं जिनके कुल अंकों में बढ़ोतरी हुई है।

लोकतंत्र के विभिन्न पैमानों पर भारत की स्थिति

इस रिपोर्ट में 167 देशों की सूची में भारत को 41वें स्थान पर रखा गया है। लेकिन एशिया और ऑस्ट्रेलेशिया समूह में शामिल भारत को छठा स्थान मिला है। भारत को कुल 7.23 अंक मिले हैं। अलग-अलग पैमानों पर देखें तो चुनाव प्रक्रिया और बहुलतावाद में 9.17, सरकार की कार्यशैली में 6.79, राजनीतिक भागीदारी में 7.22, राजनीतिक संस्कृति में 5.63 और नागरिक आजादी में 7.35 अंक भारत को दिये गए हैं।

  • रिपोर्ट के मुताबिक पहचान की राजनीति भारतीय राजनीति की प्रमुख विशेषता है। यानी यहाँ किसी भी पार्टी के एक चेहरे के आधार पर वोट डालने का चलन प्रभावी रूप से है। यही कारण है कि एक सामान्य उम्मीदवार जो किसी पार्टी से ताल्लुक नहीं रखता है, उसे अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिये बहुत संघर्ष करना पड़ता है।
  • रिपोर्ट में भारत की मुक्त और स्वतंत्र चुनाव प्रक्रिया की प्रशंसा भी की गई है। यही वज़ह है कि चुनाव प्रक्रिया के मामले में भारत को 9.17 अंक मिले हैं। लेकिन दूसरी तरफ, सरकार की कार्यशैली को लेकर 6.79 अंक दिये गए हैं।
  • रिपोर्ट में भारत सरकार और संवैधानिक संस्थाओं के बीच टकराहट पर भी चिंता जताई गई है। साथ ही, किसानों, रोज़गार और संस्थागत सुधार के मामले में सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा किया गया है। यही वज़ह है कि भारत को दोषपूर्ण लोकतंत्र वाले देशों की श्रेणी में रखा गया है।

कितना सफल है भारत का लोकतंत्र?

अपने 71 वर्षों के सफर में भारत का लोकतंत्र कितना सफल रहा, यह देखने के लिये इन वर्षों का इतिहास, देश की उपलब्धियाँ, देश का विकास, सामाजिक-आर्थिक दशा, लोगों की खुशहाली आदि पर गौर करने की ज़रूरत है। भारत का लोकतंत्र बहुलतावाद पर आधारित राष्ट्रीयता की कल्पना पर आधारित है। यहाँ की विविधता ही इसकी खूबसूरती है। सिर्फ दक्षिण एशिया को ही लें तो, भारत और क्षेत्र के अन्य देशों के बीच यह अंतर है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका में उनके विशिष्ट धार्मिक समुदायों का दबदबा है। लेकिन, धर्मनिरपेक्षता भारत का एक बेहद सशक्त पक्ष रहा है। सूचकांक में भारत का पड़ोसी देशों से बेहतर स्थिति में होने के पीछे यह एक बड़ा कारण है।

पिछले 71 सालों में देश ने प्रगति की है, काफी विकास किया है। देशवासियों का जीवन-स्तर पहले से बेहतर हुआ है। सभी धर्मों, जातियों और वर्गों के लोग एक ही समाज में एक साथ रहते हैं। कृषि, औद्योगिक विकास, शिक्षा, चिकित्सा, अंतरिक्ष विज्ञान जैसे कई क्षेत्रों में भारत ने कामयाबी हासिल की है। अर्थव्यवस्था के मामले में हम दुनिया की छठी बड़ी शक्ति हैं। आज हमारे पास विदेशी मुद्रा का विशाल भंडार है। लेकिन किसी लोकतंत्र की सफलता को आँकने के लिये ये पर्याप्त नहीं हैं। इसमें कोई शक नहीं कि देश का विकास तो हुआ है, लेकिन देखना यह होगा कि विकास किन वर्गों का हुआ। सामाजिक समरसता के धरातल पर विकास का यह दावा कितना सटीक बैठता है। दरअसल, किसी लोकतंत्र की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि सरकार ने गरीबी, निरक्षरता, सांप्रदायिकता, लैंगिक भेदभाव और जातिवाद को किस हद तक समाप्त किया है। लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति क्या है और सामाजिक तथा आर्थिक असमानता को कम करने के क्या-क्या प्रयास हुए हैं।

इन सभी मोर्चों पर भारत का प्रदर्शन कोई बहुत उल्लेखनीय तो नहीं ही रहा है।

क्या है वर्तमान स्थिति?

  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की लगभग 36 करोड़ आबादी अभी भी स्वास्थ्य, पोषण, स्कूली शिक्षा और स्वच्छता से वंचित है। दूसरी तरफ, देश का एक तबका ऐसा है जिसे किसी चीज़ की कोई कमी नहीं है।
  • विश्व असमानता रिपोर्ट के अनुसार, भारत की राष्ट्रीय आय का 22 फीसदी हिस्से पर सिर्फ 1 फीसदी लोगों का कब्ज़ा है और यह असमानता लगातार तेज़ी से बढ़ रही है। अंतर्राष्ट्रीय अधिकार समूह Oxfam के मुताबिक, भारत के इस 1 फीसदी समूह ने देश के 73 फीसदी धन पर कब्ज़ा किया हुआ है।
  • लैंगिक भेदभाव भी बहुत बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है। विश्व आर्थिक फोरम द्वारा जारी जेंडर गैप इंडेक्स में भारत 108वें पायदान पर है और UNDP द्वारा जारी लिंग असमानता सूचकांक-2017 में भारत को 127वें स्थान पर रखा गया है।
  • लोकतंत्र का चौथा खंभा माने जाने वाले मीडिया की आज़ादी भी सवालों के घेरे में है। दरअसल, पेरिस स्थित गैर-सरकारी संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ द्वारा जारी वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स-2018 में भारत पहले की तुलना में दो स्थान नीचे उतरा है और इसे 138वाँ स्थान मिला।
  • इन 71 वर्षों में अन्य बातों के अलावा सांप्रदायिकता, क्षेत्रवाद और कट्टरवाद को भी प्रश्रय मिला। इसकी वज़ह से असहिष्णुता की प्रवृत्ति भी बढ़ी है। जातिवाद की जड़ें लगातार गहरी होती जा रही हैं।

निस्संदेह इस तरह की परिस्थितियाँ लोकतंत्र की कामयाबी की राह में बाधक बनती है।

बहुत कुछ करना बाकी है

  • लोकतंत्र की कामयाबी के लिये ज़रूरी है कि सरकार अपने निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश करे। विकास के तमाम दावों के बावजूद देश में गरीबी, भुखमरी, बेरोज़गारी आदि बेहद गंभीर समस्याएँ है। आज़ादी के 71 सालों बाद भी करोड़ों लोग दयनीय जीवन जीने को मजबूर हैं।
  • विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका लोकतांत्रिक शासन-पद्धति के अंग होते हैं, लेकिन इन तीनों में ही अव्यवस्था का बोलबाला है और ये बेहद दबाव में काम करती हैं।
  • जनता की भागीदारी की कमी की वज़ह से ही हमारा लोकतंत्र महज एक ‘चुनावी लोकतंत्र’ बनकर रह गया है। चुनाव में मतदान का प्रयोग एक अधिकार के रूप में नहीं, एक कर्त्तव्य के रूप में किया जाने लगा है।
  • लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर बुनियादी सवाल कहीं पीछे छूट गए हैं और लोकतंत्र में जनता की भागीदारी और लोकतांत्रिक संस्कृति को विकसित करने के लिये पहले बुनियादी समस्याओं को हल किया जाना ज़रूरी है ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था को सफल बनाया जा सके।

अभ्यास प्रश्न: क्या भारतीय लोकतंत्र को एक सफल लोकतंत्र कहा जा सकता है? अपने उत्तर के पक्ष में ठोस तर्क प्रस्तुत करें।

essay on democracy in india in hindi

भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Indian Democracy Essay In Hindi)

भारत में लोकतंत्र पर निबंध (democracy of india essay in hindi).

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है। लोकतंत्र का तात्पर्य है, जनता का शासन। लोक यानी जनता और तंत्र का अर्थ है शासन। ब्रिटिश शासनकाल के पश्चात जब देश को आज़ादी प्राप्त हुयी, तब भारत को लोकतान्त्रिक देश घोषित किया गया था। यहाँ प्रत्येक आदमी को वोट देने का अधिकार है।

संविधान और देश का प्रशासन

भारत में कई तरह के राजनितिक दल है। राजनितिक दलों को तीन समूहों में वितरित किया गया है। उनके नाम है राष्ट्रिय दल, क्षेत्रीय दल और गैर मान्यता दल। जो दल स्थानीय, राज्य और राष्ट्रिय स्तर पर चुनाव में हिस्सा लेना चाहता है, उनका नाम भारतीय निर्वाचन आयोग में पंजीकृत होना चाहिए।

हमारा देश भारत और उसके सरकार की बागडोर उन्ही के हाथों में है, किसी भी विदेशी देश के ताकत के नियंत्रण में बिलकुल भी नहीं है। कोई भी देश हमारे देश के किसी भी फैसले या मामलो में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है।

Related Posts

इंद्रधनुष पर निबंध (rainbow essay in hindi), ओणम त्यौहार पर निबंध (onam festival essay in hindi), ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (noise pollution essay in hindi).

essay on democracy in india in hindi

भारत में लोकतंत्र पर निबंध – Essay on Democracy in Hindi

Essay on Democracy in Hindi

लोकतंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है – लोक + तंत्र। लोक का अर्थ है जनता और लोग अर्थात तंत्र का अर्थ शासन, अर्थात लोकतंत्र का अर्थ है जनता का शासन। लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसमें जनता को अपना शासन चुनने का अधिकार होता है, और जनता अपनी मर्जी से अपना मनपसंद शासक चुनती है।

आपको बता दें कि 15 अगस्त साल 1947 जब भारत को ब्रिटिश शासकों के चंगुल से आजादी मिली तो भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया था। आजाद भारत में लोगों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर अपने नेताओं को चुनने हक दिया गया। और आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

भारत में जनता का, जनता के द्धारा और जनता के लिए शासन की लोकतंत्रात्मक व्यवस्था है। भारत में हर पांच साल में केन्द्रीय और राज्य सरकार के चुनाव करवाए जाते हैं, वहीं भारत के लोकतंत्र के महत्व को बताने के लिए और विद्यार्थियों के लेखन कौशल को निखारने के लिए स्कूल-कॉलेजों में छात्रों को निबंध लिखने के लिए कहा जाता है।

इसलिए आज हम आपको अपने इस लेख में अलग-अलग शब्द सीमा के अंदर भारत में लोकतंत्र पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसे छात्र अपनी जरुरत के अनुसार चुन सकते हैं।

Essay on Democracy in Hindi

भारत में लोकतंत्र पर निबंध नंबर- 1 – Loktantra Par Nibandh

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहां जनता को अपने मनपंसद प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता अपने देश के हित के लिए और देश के विकास के लिए देश की बागडोर एक ऐसे व्यक्ति के हाथ में सौंपती है, जो इसके लायक होता है और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में मदत करता है।

वहीं भारत का लोकतंत्र पांच मुख्य सिंद्धातों पर काम करता है जैसे संप्रभु यानि कि भारत में किसी भी तरह की विदशी शक्ति की दखलअंदाजी नहीं है, यह पूरी तरह आजाद है।  समाजवादी, जिसका वोटलब है कि सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।

धर्मनिरपेक्षता, जिसका वोटलब है किसी भी धर्म को अपनाने या फिर अपनाने से इंकार करने की आजादी। लोकतांत्रिक, जिसका अर्थ है देश के नागरिकों द्धारा भारत की सरकार चुनी जाती है। गणराज्य जिसका अर्थ है देश का प्रमुख कोई एक वंशानुगात राजा या रानी नहीं होती है।

देश में कई तरह की राजनीतिक पार्टियां है, जो हर पांच साल में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ने के लिए खड़ी होती हैं। लेकिन सिर्फ उसी राजनीतिक पार्टी का शासन होता है, जिसे जनता का सार्वधिक वोट मिलता है।

आपको बता दें भारतीय संविधान के मुताबिक 18 साल से अधिक आयु के हर भारतीय नागरिक को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने का हक है। वह अपना शासक चुनने के लिए अपने कीमती वोट का इस्तेमाल करता है। वहीं ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने वोट का इस्तेमाल करने के लिए भी सरकार लगातार जागरूक कर रही है।

लोकतंत्र का अर्थ – Meaning of Democracy in Hindi

लोकतंत्र,एक ऐसी शासन व्यवस्था है, जिसके तहत जनता को अपनी मर्जी से अपना शासक चुनने का अधिकार प्राप्त होता है। इसके तहत देश हर व्यस्क नागरिक अपने वोट का इस्तेमाल कर एक ऐसा शासक चुनता है, जो देश के और जनता के विकास में उसकी मदत करे और देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने की कोशिश करे , इसके साथ ही देश की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहे।

आपको बता दें कि आजादी से पहले हमारे देश की जनता पर क्रूर ब्रिटिश शासकों ने शासन किया था, जिससे भारतीयों का काफी शोषण हुआ था, लेकिन जब 15 अगस्त, 1947 को अपना भारत देश ब्रिटिश शासकों के चंगुल से आजाद हुआ तो इसे एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाया गया।

जिसके तहत भारत के हर एक नागरिक को अपनी मर्जी से अपने शासक को चुनने का अधिकार दिया गया, वहीं लोकतंत्र के तहत जाति, धर्म, लिंग, रंग और संप्रदाय आदि को लेकर फैली असमानता की भाव को दूर कर अपने वोट का इस्तेमाल करने की इजाजत दी गई गई।

भारत में लोकतंत्र का इतिहास – Indian Democracy History

पुराने समय में भारत में कई मुगल और मौर्य शासकों ने शासन किया था, पहले वंशानुगत शासन चलता था, जिसमें अगर कोई व्यक्ति किसी  देश या राज्य की सल्तनत हासिल कर लेता था तो वर्षों तक उसी के वंश की कई पीढि़यां राज करती थी और सभी के पास शासन करने की अपनी एक अलग शैली होती थी और सब अपने-अपने अनुसार नियम-कानून और कायदे बनाते थे।

वहीं साल 1947 में जब देश आजाद हुआ और भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बना तो वंशानुगत व्यवस्था हमेशा के लिए खत्म की गई, और लोगों को अपने वोट का इस्तेमाल कर अपनी सरकार चुनने का अधिकार दिया गया। वहीं आज भारत देश का सबसे बड़ा लोकतंत्र है।

आपको बता दें कि जब भारत में मुगल और अंग्रेज शासकों द्धारा शासन किया जाता था, तो उस समय भारत की जनता को उनके द्वारा किए गए अत्याचारों को झेलना पड़ता था, और उनकी गुलामी करनी पड़ती थी, लेकिन जब भारत एक लोकतांत्रिक राज्य बना तो भारत के नागरिकों को  अपनी पसंद का शासक चुनने का अधिकार मिला और अपने वोट का इस्तेमाल करने की शक्ति प्राप्त  हुई।

वहीं अब भारत दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में जाना जाता है। आपको बता दें कि आजादी के बाद जब 26 जनवरी, 1950 में हमारे भारत में संविधान लागू किया गया तो भारत को एक लोकतंत्रात्मक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य घोषित किया गया।

हमारे देश की लोकतंत्रात्मक प्रणाली देश में समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व के सिद्धांतों में यकीन करती है। लोकतंत्रात्मक व्यवस्था के तहत किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग के लोगों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर अपने प्रतिनिधि को चुनने का अधिकार दिया गया है।

आपको बता दें कि भारत में सरकार का संसदीय स्परुप अंग्रजों की व्यवस्था पर आधारित है।

भारत में सरकार का एक संघीय रुप है जिसका अर्थ है केन्द्र औऱ राज्य सरकार। जिसमें केन्द्र सरकार वह होती है, जो संसद के लिए जिम्मेदार होती है, अर्थात केन्द्र सरकार ही देश के लिए नियम और कानून बनाती है।

इसके अलावा विदेश नीति भी बनाती  है और अपने देश के हित के लिए दूसरे देश के साथ समझौता करती है, जिससे देश की तरक्की हो सके।

केन्द्र सरकार के लिए हमारे देश में लोकसभा का चुनाव करवाया जाता है। केन्द्र सरकार भारतीय संविधान द्धारा दी गई सभी शक्तियों का अच्छी तरह से इस्तेमाल करती है और भारत के विकास और रक्षा के लिए पूरी तरह से उत्तरदायी होती है। आपको बता दें कि हर 5 साल में संसद का चुनाव आयोजित करवाया जाता है।

वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकारें अपनी राज्य से संबंधित विधानसभाओं के लिए जिम्मेदार होती हैं। हमारे भारत देश में प्रत्येक राज्य को राज्य सरकार द्धारा शासित किया जाता है, आपको बता दें कि हमारे देश में कुल 29 राज्य सरकारें हैं, जिनमें से हर राज्य का नेतृत्व राज्यपाल या फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्धारा किया जाता है।

देश के हर प्रदेश में मुख्यमंत्री का पद काफी अहम होता है, क्योंकि वह प्रदेश की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता समेत अन्य मामलों से जुड़े सभी अहम फैसलों को लेता है, इसके साथ  ही मुख्यमंत्री मंत्रिपरिषद का भी प्रमुख है। 

वहीं केन्द्र और राज्य की सरकारें लोकतांत्रिक रुप से यानि की जनता के द्धारा चुनी जाती हैं और भारतीय संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्य सभा के नियमों का पालन करती हैं। इसके साथ ही आपको यह भी बता दें कि केन्द्र और राज्य सरकारें मिलकर देश के राष्ट्रपति का चुनाव करती हैं, राष्ट्रपति का राज्यों का प्रमुख भी माना गया है।

लोकतांत्रिक देश भारत में चुनाव एक अहम प्रणाली –

सार्वभौम, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, और लोकतंत्रात्मक गणराज्य भारत में चुनाव एक अति महत्वपूर्ण और बेहद अहम प्रणाली है। सरकार बनाने के लिए, और प्रतिनिधि को चयन करने के लिए चुनाव एक महत्वपूर्ण प्रणाली है।

लोकसभा के चुनाव हो या विधानसभा के चुनाव, इसमें देश के सभी नागरिक एक समान भाव से एक जुट होकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं और अपने प्रतिनिधि को चुनते हैं, देश में 18 साल से ज्यादा उम्र के हर नागरिक को अपने वोट का इस्तेमाल करने का अधिकार दिया गया है।

देश के नागरिकों को समय-समय पर अपने वोट देने के लिए जागरूक भी किया जाता है। आपको बता दें कि हमारे देश में हर 5 साल में चुनाव होते हैं, जिसमें देश के नागरिक अपने वोट का इस्तेमाल कर देश के विकास और प्रगति के लिए अपना प्रतिनिधि चुनते हैं।

भारत एक ऐसा लोकतंत्रात्मक देश हैं, जिसमें 29 राज्य और 7 केन्द्र शासित प्रदेश हैं, जिसमें हर 5 साल के अंतराल में चुनाव का आयोजन किया जाता है। वहीं इन चुनावों में राजनैतिक दल, केन्द्र और राज्य में जनता के ज्यादा वोट प्राप्त कर अपनी सरकार का निर्माण करते हैं।

आपको बता दें कि चुनाव के दौरान राजनैतिक दल जनता से विकास के तमाम वादे कर जनता से उनकी पार्टी को वोट देने के लिए भी उत्साहित करती  हैं, ऐसे में जनता के सामने सही और योग्य उम्मीदवार का चयन करना एक चुनौती भी होती है।

आपको बता दें भारत में कई राजनैतिक पार्टियां हैं जिनमें से बीजेपी, कांग्रेस, सपा, बसपा, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- ( सीपीआईएम ), माकपा आदि प्रमुख पार्टी हैं। वहीं जनता किसी भी राजनैतिक दलों के उम्मीदवारों का चयन, पार्टी के प्रतिनिधियों के द्धारा करवाए गए विकास कामों के आधार पर करती है।

भारत के 5 लोकतांत्रिक सिद्धांत

भारत एक ऐसा लोकतंत्रात्मक देश है जो मुख्य रुप से 5 लोकतांत्रिक सिद्धान्तों पर काम करता है – जैसे कि संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरेपक्षता और लोकतांत्रिक। जिनसे बारे में हम आपको नीचे संक्षिप्त में बता रहे हैं –

लोकतंत्रात्मक गणराज्य भारत संप्रभु के सिद्धांत पर काम करता है, जिसका अर्थ  है, हमारा भारत किसी भी विदेशी शक्ति, उसके नियम-कानून और उसके नियंत्रण के हस्तक्षेप से मुक्त है।

समाजवादी भी भारत का एक लोकतांत्रिक सिद्धान्त हैं, जिसका वोटलब है कि हमारा देश के हर नागरिक को जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग , रंग और पंथ  को अनदेखा कर आर्थिक समानता और सामाजिकता प्रदान करना।

  • धर्म निरपेक्षता –

भारत एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य है, जिसका वोटलब है, भारत के सभी नागरिक को अपनी मर्जी और पसंद के अनुसार किसी भी धर्म को अपनाने और उसके पालन करने की स्वतंत्रता प्राप्त है, क्योंकि हमारे देश भारत में कोई भी आधिकारिक धर्म नहीं है।

  • लोकतांत्रिक –

भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है, जिसका अर्थ है कि भारत की सरकार का चयन, भारत के नागिरकों द्धारा किया जाता है, किसी भी जातिगत भेदभाव और आर्थिक असमानता के बिना सभी नागिरकों को समान भाव से वोट देने का अधिकार दिया गया है, ताकि वे अपनी पसंद की सरकार चुन सके जिससे देश के विकास को बल मिल सके और देश आर्थिक रुप से मजबूत बन सके।

गणतंत्र –

जब से हमारे देश का संविधान लागू हुआ है ,तब से भारत एक धर्मनिरेपक्ष और लोकतंत्र गणराज्य घोषित किया है, अर्थात हमारे देश का मुखिया कोई वंशानुगत राजा या रानी नहीं है बल्कि इसे लोकसभा और राज्यसभा द्धारा चुना जाता है, जिसका फैसला जनता-जर्नादन के हाथ में होता है।

सबसे बड़े लोकतंत्र में सुधार की जरूरत

हमारा देश भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिसमें सुधार की बेहद जरूरत है, इसमें सुधार के लिए समय-समय पर ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। वहीं हम आपको नीचे लोकतंत्र में सुधार के कुछ उपायों के बारे में बता रहे हैं –

  • ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने के लिए बढ़ावा देकर।
  • देश से गरीबी की समस्या को जड़ से खत्म कर।
  • ज्यादा से ज्यादा लोगों को शिक्षित कर और साक्षरता दर को बढ़ाकर।
  • जनता को सही और योग्य उम्मीदवार चुनने के लिए शिक्षित कर।
  • लोकसभा और विधानसभा में सभ्य और जिम्मेदार विपक्ष का निर्माण कर।
  • शिक्षित, सभ्य और योग्य लोगों तो प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रोत्साहित कर।
  • जातिगत भेदभाव को दूर कर।
  • निर्वाचित सदस्यों द्धारा करवाए गए विकास कामों और कामकाज की निगरानी कर।
  • सांप्रदायिकता का उन्मूलन।

भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली को पूरे देश में सराहा जाता है, हालांकि भारत के लोकतंत्र में अशिक्षा, गरीबी, बेरोजगारी जैसे तमाम कारकों को जड़ से खत्म करने की जरूरत है ताकि देश के लोकतंत्र को और अधिक मजबूती मिल सके और देश के विकास को बल मिल सके। 

अगले पेज पर और भी निबंध….

Leave a Comment Cancel Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Gyan ki anmol dhara

Grow with confidence...

  • Computer Courses
  • Programming
  • Competitive
  • AI proficiency
  • Blog English
  • Calculators
  • Work With Us
  • Hire From GyaniPandit

Other Links

  • Terms & Conditions
  • Privacy Policy
  • Refund Policy

Nibandh Mala

भारत में लोकतंत्र पर निबंध Essay on Democracy in India Hindi

आज हम भारत में लोकतंत्र पर निबंध पढ़ेंगे। आप Essay on Democracy in India Hindi  को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 के विद्यार्थियों के लिए उपयुक्त हैं।

Essay on Democracy in India Hindi

भारत आज लोकतंत्र की मशाल जलाते हुए दुनिया में आशा-उमंग और शांति के आकर्षण का केंद्र बिंदु बन गया है। भारत में बिना भेदभाव के हर जाति-धर्म का व्यक्ति बराबरी के आधार पर मेयर से लेकर प्रथम नागरिक तक बन सकता है।

हम विविध-विभिन्न बोली, भाषा, रंग-रूप, रहन-सहन, खान-पान, जलवायु में होने के बावजूद एक संस्कृति की माला में पिरोए हुए हैं। ऐसे ही विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र नहीं है हमारा देश भारत। समय-समय पर कई उतार-चढ़ाव आए, अभी भी समय-समय पर इसे चुनौती देने की कोशिश की जाती है, लेकिन भारत की सार्वभौमिकता फिर भी बरकरार है।

आज भारत के सामने अहम सवाल यह है कि राजनीतिक व्यवस्था को ठीक, समाज को चुस्त, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, अनुशासित बनाने के लिए ठोस कानून बनाया जाए। प्रत्येक नागरिक को भी-चाहे कोई बेरोजगार हो या अमीर, सेवादार हो या किसान अपनी प्रत्यक्ष संपत्ति-जायदाद का खुलासा करना चाहिए, ताकि हमारे देश में जो चल-अचल धन है उसकी जानकारी हो सके। एक बात और कि जिन लोगों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कहीं भी, देश या विदेश में, अगर किसी प्रकार का धन मिलता हो तो उसे जब्त किया जाए और उस व्यक्ति को ऐसा करने की सख्त सजा भी मिले।

जनतंत्र-गणतंत्र की प्रौढ़ता को हम पार कर रहे हैं लेकिन आम जनता को उसके अधिकार, कर्तव्य, ईमानदारी समझाने में पिछड़े, कमजोर और गैरजिम्मेदार साबित हो रहे हैं। ऐसा होना स्वाभाविक है। इसका कारण है, अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक न होना या फिर उनके बारे में जानकारी रखते हुए भी उनके प्रति उपेक्षा का भाव रखना।

हमें विश्वास है कि जल्द ही हम सिद्ध करके दिखाएंगे कि लोकतंत्र हमारा स्वभाव है और हम विश्व के श्रेष्ठ और मजबूत लोकतंत्र के नागरिक हैं।

इस निबंध को भी पढ़िए:

  • सच्चे धर्म पर हिन्दी निबंध - hindi essay on true religion 2023
  • टीवी और विद्यार्थी हिंदी निबंध TV and Student Essay in Hindi
  • हमारा राष्ट्रीय ध्वज पर निबंध Essay on Our National Flag in Hindi
  • भारत के राष्ट्रीय प्रतीक पर निबंध Essay on India's National Emblem in Hindi
  • मोबाइल की उपयोगिता हिंदी निबंध Importance of Mobile Essay in Hindi
  • समाचार पत्र हिंदी निबंध Newspaper Essay in Hindi
  • पुस्तकालय हिंदी निबंध Library Essay in Hindi
  • भगवान महावीर हिंदी निबंध Bhagwan Mahavir Essay in Hindi
  • महात्मा गांधी हिंदी निबंध Mahatma Gandhi Essay in Hindi
  • मेरा विद्यालय हिंदी निबंध ‎My School Essay in Hindi

Leave a Comment Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Notify me of follow-up comments by email.

Notify me of new posts by email.

  • Now Trending:
  • Nepal Earthquake in Hind...
  • Essay on Cancer in Hindi...
  • War and Peace Essay in H...
  • Essay on Yoga Day in Hin...

HindiinHindi

Democracy essay in hindi भारत में लोकतंत्र पर निबंध.

Read short essay on Democracy essay in Hindi. Today we are going to explain how to write democracy essay in Hindi. Now you can take useful examples to write democracy essay in Hindi in a better way. Democracy essay in Hindi is asked in most exams nowadays starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. भारत में लोकतंत्र पर निबंध।

hindiinhindi Democracy Essay in Hindi

Democracy Essay in Hindi

भारत में लोकतंत्र पर निबंध

लोकतंत्र सरकार की एक प्रणाली होती है जिसके तहत वह अपने नागरिकों को वोट देने और अपनी पसंद की सरकार के चुनाव के लिए अनुमति देती है। हमारा देश भारत संन 1947 में अंग्रेजो की हुकूमत से आजाद होने के बाद लोकतांत्रिक राष्ट्रीय बन गया था। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। भारतीय लोकतंत्र अपने नागरिकों को जाति, पंथ, धर्म, लिंग, रंग आदि के बावजूद अपनी पसंद से वोट देने का अधिकार अपने नागरिको को देता है। इसके 5 लोकतांत्रिक सिद्धांत है – संप्रभु, समाजवाद, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्र और लोकतांत्रिक गणराज्य।

राज्य और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न राजनीतिक दल चुनाव के लिए अपने प्रत्याशी को चुनाव के लिए खड़ा करते हैं। चुनावों से पहले प्रत्येक प्रत्याशी अपने पिछले कार्य की सूची देश के नागरिकों के आगे रखते हैं, प्रत्याशी भाषण के माध्यम नागरिको तक अपने भविष्य के कार्य के बारे अपनी बात सांझा करते हैं। जिसको देखने और समझने के बाद नागरिक अपने वोट का इस्तेमाल करता है। हमारे देश के संविधान के मुताबिक 18 वर्ष से अधिक आयु के हर भारतीय नागरिक को वोट देने का अधिकार है। समय समय पर सरकार द्वारा भी “मतदान के महत्व” पर लोगों को जागरूक करती रहती है। देश की तरक्की और खुशहाल जीवन के लिए लोगों को चाहिए कि वह पहले अपने प्रत्याक्षी के बारे में सब कुछ जान समझ लें और सोच समझकर अपने वोट का इस्तेमाल करें।

हमारा भारत देश दुनिया भर में अपने सफल लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए जाना जाता है हालांकि अभी भी इसमें बहुत सारी कमिया हैं जिस पर काम करने की आवश्यकता है। इसके सुधर के लिए इन विषयों पर जल्द से जल्द कदम उठाने चाहिए – गरीबी उन्मूलन, साक्षरता को बढ़ावा देना, सांप्रदायिकता का उन्मूलन करना, निष्पक्ष और जिम्मेदार मीडिया सुनिश्चित करना, नागरिको को सही उम्मीदवार चुनने के लिए शिक्षित करना और लोकसभा तथा विधानसभा में ज़िम्मेदार विपक्ष का निर्माण।

Other Hindi Essay

Left wing & right wing politics in Hindi

Essay on Politics in Hindi

Essay on Religion and Politics in Hindi

Essay on Third World War in Hindi

Essay on Self Dependence in Hindi

Thank you for reading. Don’t forget to give us your feedback.

अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करे।

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window)
  • Click to share on Twitter (Opens in new window)
  • Click to share on LinkedIn (Opens in new window)
  • Click to share on Pinterest (Opens in new window)
  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window)

About The Author

essay on democracy in india in hindi

Hindi In Hindi

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Email Address: *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Notify me of follow-up comments by email.

Notify me of new posts by email.

HindiinHindi

  • Cookie Policy
  • Google Adsense

HindiKiDuniyacom

भारतीय राजनीति पर निबंध (Indian Politics Essay in Hindi)

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं और जीवन के अनेक पहलुओं से मनुष्य का सम्बन्ध होता है। हर पहलु एक राजनीति गतिविधियों से जुड़ा होता है। मनुष्यों से जुड़ी इन्हीं गतिविधियों को हम राजनीति कहते है। ‘पॉलिटिक्स या राजनीति’ ग्रीक भाषा के “पोलिश” शब्द से बना है जिसका अर्थ है मनुष्यों से जुड़ी नगर गतिविधियां। आपको आसान भाषा में बताऊ तो राजनीति एक खेल का ही स्वरूप होता है। जिसमें कई टीम और हर टीम में कई खिलाड़ी मौजूद होते है, लेकिन जीत केवल एक की ही होती है। उसी प्रकार कई राजनीतिक दल चुनाव लड़ते है और जीतने वाली पार्टी ही सत्ताधारी पार्टी होती है। भारत की राजनीतिक प्रणाली संविधान के तहत कार्य करती है। कुछ राजनेता और सरकारी कर्मचारियों ने देश के राजनीति की छवि और देश के हाल को बिगाड़ कर रख दिया है। लालच, भ्रष्टाचार, गरीबी, अशिक्षा ने भारतीय राजनीति को दागदार बना रखा है।

भारतीय राजनीति पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Indian Politics in Hindi, Bhartiya Rajniti par Nibandh Hindi mein)

Long essay – 1300 words.

भारत की राजनीति में चुनाव के बाद जीती हुई राजनीतिक दल सत्ता दल से सत्ता की प्राप्ति की एक प्रक्रिया को कहते है। ये राजनीतिक चुनाव प्रक्रिया ग्राम से लेकर देश के चुनाव तक होता है और सभी चुनावों का नियंत्रण चुनाव आयोग के द्वारा किया जाता है। भारत की राजनीति और चुनाव की प्रक्रिया के द्वारा ही यहां एक सफल सरकार का गठन सम्भव हो पाता हैं। सरकार देश के विकास कार्य और राष्ट्र की प्रगति में सहायक होती है। भारत में पहला आम चुनाव आजादी के बाद सन 1951 में हुआ था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले चुनाव में जीत हासिल की थी। भारत में दो बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां है, एक राष्ट्रीय कांग्रेस और दूसरी भारतीय जनता पार्टी।

भारतीय सरकार का संसदीय स्वरुप

भारत की राजनीति एक संसदीय ढांचे के अंदर काम करता है, मुखिया, राष्ट्रपति और देश का प्रधानमंत्री सरकार का प्रतिनिधित्व करते है। भारत एक संसदीय संघीय लोकतान्त्रिक गणतंत्र देश है। भारत की राजनीति द्वी-राजतन्त्र के तहत काम करता है, जिसमें एक केंद्र सरकार और दूसरी राज्य सरकार के रूप में कार्य करती है।

भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में संसदीय स्वरूप ही सरकार के कार्य को दर्शाती है। इस प्रकार देश का प्रधानमंत्री को ही सरकार के रूप में मानते है। वैसे देश का मुखिया तो राष्ट्रपति होता है पर सारी बागडोर प्रधानमंत्री के हाथों में होती है। राष्ट्रपति ही देश का सर्वोच्च नागरिक होता है।

देश में आम चुनाव के द्वारा लोग अपनी पसंद के प्रतिनिधि को चुनने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होते है। देश का हर वो व्यक्ति जिसने 18 वर्ष की आयु पार कर ली है, वह स्वतंत्र रूप से अपने मत का प्रयोग या अपनी इच्छा से उसे अपना प्रतिनिधि चुनने का हक़ होता है। प्रत्येक पांच वर्षों के बाद देश का आम चुनाव होता है, जिसमें आप अपने प्रतिनिधि का स्वतंत्रता से चुनाव कर सकते है।

भारतीय राजनीति में राजनीतिक पार्टियां

ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद भारत एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र बन गया, और ये लोकतंत्र लोगों की पसंद से सरकार बनाने की अवधारणा पर आधारित है। इसमें राजनीतिक दल या पार्टियों का एक ऐसा समूह होता है, जो विभिन्न वर्गों और क्षेत्रों के द्वारा गठित की जाती है। स्वतंत्रता के बाद देश में कई राजनीतिक दलों का गठन किया गया था। जिनमें से कुछ पार्टियां राष्ट्रीय स्तर की थी तो कुछ राज्य स्तर पर थी। बाद में कई राज्य स्तरीय पार्टियों को उनके विस्तार को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर की पार्टी घोषित कर दी गई थी। इन दिनों हर राज्य में कुछ लोकल पार्टियों ने भी जन्म ले लिए है, जो की राजनीति को बहुत प्रभावित करता है।

कोई भी राजनीतिक पार्टी चाहे वह पार्टी राष्ट्रीय स्तर की हो या राज्यीय स्तर की पार्टी हो उस पार्टी को एक चिन्ह के रूप में एक प्रतिक होना आवश्य होता है। राजनीतिक पार्टी के पास प्रतिक होने से लोग प्रतिक से उस पार्टी की पहचान कर लेते है, और चुनाव चिन्ह के रूप में भी इसे ही इस्तेमाल किया जाता है। लोग चुनाव के समय इसी चिन्ह के माध्यम से पार्टी को पहचान कर अपना मतदान करते है। इन राजनीतिक पार्टियों को चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत होना आवश्यक होता है।

सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले या चुनाव के दिनों में आम लोगों को अपने विभिन्न कार्यक्रमों और अपनी नीतियों से उन्हें अवगत कराते है। आम लोगों का वोट इकठ्ठा करने के लिए वो विभिन्न कार्यक्रमों और रैलियों के माध्यम से उन्हें अपनी ओर आकर्षित करते है। उन्हें अपने कार्यों की उपलब्धियों और आगे के नीतियों को भी बताते हैं। जिससे की जनता को उनके प्रति भरोषा हो की ये भविष्य में उनके हित के लिए कार्य करेंगे।

भारतीय राजनीति में ऐसी कई राजनीतिक पार्टियां है जो चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त पार्टियां है। जैसे- भारतीय जनता पार्टी, नेशनल कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी इत्यादि जिनका वर्चस्व भारतीय राजनीति को प्रभावित करता है।

भारतीय राजनीति के नकारात्मक पहलू

भारतीय लोकतांत्रिक देश में अनेकों राजनीतिक पार्टियों के होने के बावजूद यह बहुत सी समस्याएं भी सामने आयी है, जो बड़े ही दुःख की बात है। हमारे राष्ट्र के विकास और प्रगति के के लिए इन्हें दूर करना बहुत ही आवश्यक है।

  • पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारक है जो देश के राजनीति और उसके विकास को कमजोर कर रहा है, वो है “भ्र्ष्टाचार”। देश में किसी भी गलत काम को रिस्वत देकर सही साबित करवाना भ्र्ष्टाचार के ही कारक है। सरकारी क्षेत्रों में भ्र्ष्टाचार की अधिकता बहुत है। सभी नियंत्रण राजनीतिक पार्टियों के हाथों में होती है, और राजनीतिक पार्टियां अपनी पार्टी के हित में पैसा इकठ्ठा करने के लिए पैसे लेकर अवैध भर्तियां करवाती है। इसके कारण देश के उज्जवल और होनहार छात्रों का भविष्य अंधेरे में चला जाता है। राजनीतिक पार्टियों द्वारा इकठ्ठा किया गया यही पैसा चुनाव के समय लोगों में वोट मांगने के लिए और राजनेताओं को उनकी पार्टी में शामिल होने के लिए खरीदने में उपयोग किया जाता हैं।
  • चुनावों के पहले जो राजनेता बड़े ही विनम्रता से पेश आते है, लोगों से नीतियों और तरक्की के वादों की बौछार करते हैं। वही राजनेता का चुनाव जीतने के बाद परिदृश्य बिल्कुल ही अलग हो जाता है। उनके सामने आने वाली आम लोगों की समस्याओं की बिलकुल परवाह नहीं होती है। कहीं-कहीं तो चुनाव जीतने के बाद राजनेता आम लोगों को ही परेशान करने की बात भी सामने आई है। राजनेताओं को बस अपने पैसे बनाने की पड़ी है, इसके लिए वो अपने कुर्सी की ताकत का इस्तेमाल करते है।
  • राजनीति में पहले से ही मौजूद शक्तिशाली राजनेताओं के कारण सही व्यक्ति जो लोगों की सच्ची सेवा करना चाहता है वो कभी चुनाव नहीं जीत पाता हैं। ऐसे ताकतवर नेता अपनी अलग-अलग और अवैध रणनीति लगाकर चुनाव को जीतते है। वे आम लोगों में पैसे, खाने के सामान जैसी चीजों को बांटकर अपने चुनावी झांसे में फ़साने का काम करते है, और गरीब पैसों की कमी के कारण उनके चुनावी झांसे में आकर उन्हें अपना वोट दे देते है। बाद में लोगों को इन पैसों को अपनी तकलीफों के रूप में चुकानी पड़ती है।
  • सत्ता की कुर्सी पर जो राजनेता बैठा हैं वो कभी भी किसी कीमत पर सत्ता और अपना नियंत्रण नहीं खोना चाहता है। ऐसे में नेता फर्जी अफवाहें, झूठी बातें, पैसे देकर मिडिया को झूठी खबरे फैलाने को कहते हैं। इस तरह से जनता में गलत सन्देश के जाने से दूसरी पार्टी के नेताओं से उनका विश्वास कम हो जाता है और गलत सत्ताधारी नेताओं के जीत का मार्ग और मजबूत हो जाता है।
  • अधिकांश राजनीतिक दलों में युवाओं की कमी है, क्योंकि राजनीति अब बस पैसे वालों के लिए हो गई है। इसलिए जो अच्छे और कर्मठ युवा राजनीति में आना चाहते है या तो पैसों की कमी या उन्हें राजनीति में पैसो के दम पर आने नहीं दिया जाता। आज भी राजनीतिक पार्टियों में वृद्धावस्था के नेता मौजूद है और वही जनता की सेवा कर रहे है। वास्तविकता तो यह है की वो न तो ठीक से चल सकते है, न लिख सकते है, न पढ़ सकते है। ऐसे नेताओं का काम अधिकारी या कुछ पढ़े लिखे लोग उनके आदेशों का पालन करते है। राजनीतिक पार्टियां अपने निजी स्वार्थ के लिए ऐसे लोगों को अपनी पार्टी में ढो रही है। ऐसे नेताओं को युवा नेताओं के साथ संभावित रूप से बदलने की आवश्यकता है।

भारतीय राजनीति अच्छे और बुरे अनुभवों का एक मिश्रण है। जहां एक अच्छा नेता अपनी अच्छी छवि से भारतीय राजनीति को उजागर करता है तो वही दूसरी तरफ नेताओं के गलत तरीके से चुनाव जितना और अपने निजी फायदे के लिए राजनीति करना इसकी छवि को धूमिल बनाता है। यहां की जनता को देश में लोकतांत्रिक हक़ दिया गया है की वो अपनी पसंद का नेता चुन सकें। यह चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वो देश तर्कसंगत या निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराए जिससे देश की उन्नति और तरक्की पूर्णतया पुख्ता रूप से सम्भव हो सकें।

Essay on Indian Politics

संबंधित पोस्ट

मेरी रुचि

मेरी रुचि पर निबंध (My Hobby Essay in Hindi)

धन

धन पर निबंध (Money Essay in Hindi)

समाचार पत्र

समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)

मेरा स्कूल

मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)

शिक्षा का महत्व

शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

बाघ

बाघ पर निबंध (Tiger Essay in Hindi)

Leave a comment.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भारत में लोकतंत्र पर निबंध

Essay on Democracy in India in Hindi : लोकतंत्र का नाम सुनते ही हमें सुरक्षा और स्वंत्रता की याद आती हैं। हमारा भारत देश एक लोकतंत्र देश हैं।

Essay on Democracy in India in Hindi

हम यहां पर अलग-अलग शब्द सीमा में भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Essay on Democracy in india in Hindi) शेयर कर रहे हैं। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।

Read Also:  हिंदी के महत्वपूर्ण निबंध

भारत में लोकतंत्र पर निबंध | Essay on Democracy in India in Hindi

भारत में लोकतंत्र पर निबंध (250 शब्द) .

हमारा देश एक लोकतान्त्रिक देश हैं। हमारा देश संविधान के अनुसार चलता है। देश के संविधान को हम महत्पूर्ण मानते है। यही संविधान हमें लोकतंत्र और स्वाधीनता के साथ अभियक्ति की आजादी देता हैं। हमारा देश जिस तरह से लोकतंत्र हैं, उस तरह से हम इस देश को महान मानते हैं।

हमारे देश के संविधान के भाग 3 में हमें हमारा संविधान कुछ अधिकार देता हैं। यह अधिकार हमारे देश के संविधान की महानता को दर्शाता है। इन अधिकारों में मुख्य रूप से अभियक्ति की आजादी, समानता का अधिकार, शिक्षा का इत्यादि शामिल हैं।

हमारे देश में लोकतंत्र में सबसे मुख्य रूप से चुनाव सबसे बड़ा और अच्छा भाग हैं। हमारा देश 1947 में आजाद हुआ था, परन्तु देश को लोकतंत्र की ओर ले जाने के लिए हमारे देश के लोगों के पहले से ही प्रयास शुरू कर दिए थे। परन्तु देश की आजादी के बाद देश में लोकतंत्र का गठन शुरू हो गया था। हमारा भारत देश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश हैं। हमारे देश का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान लिखित हैं। यह संविधान ही हमें लोकतंत्र और स्वंत्र रूप से जीने की आजादी देता हैं।

किसी भी देश में शासन करने के लिए लोकतंत्र का होना जरुरी हैं। लोकतंत्रात्मक होने आशय इस बात हैं कि उस देश की सरकार चलाने वाले लोगों का चुनाव जनता द्वारा किया जाता हैं। हमारा देश भी एक लोकतान्त्रिक देश हैं, जहां सरकार का चुनाव देश की जनता द्वारा किया जाता हैं। हमें भी अपने देश और देश की लोकतंत्रात्मक प्रणाली पर गर्व हैं। जय हिन्द।

भारत में लोकतंत्र पर निबंध (800 शब्द) 

भारत एक लोकतान्त्रिक देश हैं। देश के संविधान में लोकतंत्र की परिभाषा बताई गई हैं और इसके अलावा देश के सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार देने की बात का उल्लेख हैं। देश का लोकतान्त्रिक होने का अर्थ केवल राजनीतिक अधिकार से ही नहीं हैं बल्कि इसमें और भी कई परिभाषायें और कई भेद आते हैं।

देश का लोकतान्त्रिक होने का अर्थ होना मतलब देश को चलाने वाले नेताओं का चुनाव देश के 18 साल के ऊपर के नागरिक करते हैं। लोकतंत्र को एक अच्छे शासन प्रणाली के रूप में जाना जाता हैं। लोकतंत्र हमारे देश के लोगों को बिना किसी धार्मिक और सामाजिक भेदभाव मतदान करने की अनुमति देता हैं। देश में वोट के आधार पर सत्ता का निर्धारण होता हैं। देश को जनता के हाथ में ही देश का भविष्य हैं।

लोकतंत्र की परिभाषा

लोकतंत्र की सामान्य परिभाषा के बारे में देखे तो यह दो मुख्य शब्दों से मिलकर बना है, जिसमे पहला शब्द हैं लोक जिसका सामान्य अर्थ देश की जनता हैं। दूसरा शब्द हैं प्रशासन जिसका अर्थ हैं किसी भी देश और क्षेत्र में शासन करना हैं।

भारत में भी लोकतंत्र को इसी सामान्य शब्द में समझा जाता हैं कि यहां की सरकार का चुनाव जनता ही करती हैं। यहां के किसी भी छोटे से नेता का भी चुनाव करना हो तो उसके लिए भी वोट होते हैं, जिसमें जनता बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती हैं। एक गाँव में वार्डपंच और सरपंच के चुनाव के लिए भी चुनाव आयोग द्वारा वोट करवाए जाते हैं।

देश में लोकतंत्र का काफी महत्त्व हैं। हमारा देश का संविधान हमें देश में लोकतंत्र के साथ जीने का अधिकार देता हैं। देश के संविधान में सबको समान अधिकार दिए है। देश की लोकतंत्र की मर्यादा बनाये रखने के लिए देश में न्यायपालिका भी हैं। देश में न्यायपालिका को संविधान का मुख्य अंग माना जाता हैं। लोकतंत्र के अधीन ही देश में न्यायपालिका और कार्यपालिका जैसे संविधान के पिलर काम करते हैं।

लोकतंत्र के मायने

किसी भी देश के लिए लोकतंत्र के अलग ही मायने हैं। एक देश का लोकतात्रिक होना, इससे यह आशय है कि उस देश की जनता ही उस देश की सरकार का चुनाव करती हैं और देश देश में अपनी चुनी हुई सरकार को प्रोत्साहित करती हैं।

हमारे देश ही एक लोकतान्त्रिक देश हैं और हमारे देश में देश की सरकार का निर्माण जनता द्वारा चुने गये जनप्रतिनिधि ही करते हैं। हमारे देश एक वार्डपंच से लेकर संसद तक का चुनाव देश की जनता करती हैं। हमारे भारत देश के संविधान में कई ऐसे आर्टिकल हैं, जो हमें देश में स्वंतत्र रूप से जीने के अधिकार देते हैं।

देश में लोकतान्त्रिक सरकार का चुनाव करना भी उन्ही अधिकारों का एक अंग हैं, जिसे हम हमारे देश में अपनी सरकार चुनते हैं और देश को चलाने के लिए उन्हें संसद और विधानसभा तक भेजते हैं।

लोकतंत्र के 5 सिद्धांत

हमारे देश का लोकतंत्र इन 5 सिद्धांतो पर काम करता हैं। यह वो 5 मुख्य सिद्धात हैं, जो हमारे देश के लोकतंत्र को मजबूती देते है। यह वो 5 सिद्धांत निम्न हैं:

  • संप्रभु: इसका मतलब भारत किसी भी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त है।
  • समाजवादी: इसका मतलब है कि सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।
  • धर्मनिरपेक्षता: इसका अर्थ है किसी भी धर्म को अपनाने या सभी को अस्वीकार करने की आजादी।
  • लोकतांत्रिक: इसका मतलब है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा चुनी जाती है।
  • गणराज्य: इसका मतलब यह है कि देश का प्रमुख एक वंशानुगत राजा या रानी नहीं है।

हमारा भारत देश आजादी के बाद ही एक लोकतान्त्रिक देश हैं। देश की लोकतांत्रिकता पर हमे गर्व हैं।

मेरा देश एक लोकतान्त्रिक देश हैं। हमारे देश की जनता ही हमारे देश की सरकार चुनती हैं। हमरे देश का संविधान हमें लोकतान्त्रिक देश बनाने की आजादी देता हैं।

अंतिम शब्द  

हमने यहां पर “भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Essay on democracy in india in Hindi)” शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। आपको यह निबन्ध कैसा लगा, हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

  • मेक इन इंडिया पर निबंध
  • एक भारत श्रेष्ठ भारत पर निबंध
  • मेरे सपनों का भारत पर निबंध
  • भारत पर निबंध

Rahul Singh Tanwar

Related Posts

Leave a comment जवाब रद्द करें.

HiHindi.Com

HiHindi Evolution of media

लोकतंत्र पर निबंध हिंदी में | Essay On Democracy In Hindi

नमस्कार आज का निबंध लोकतंत्र पर निबंध हिंदी में Essay On Democracy In Hindi पर दिया गया हैं. सरल भाषा में स्टूडेंट्स के लिए लोकतंत्र निबंध में हम जानेगे कि डेमोक्रेसी क्या हैं अर्थ परिभाषा, महत्व, चुनौतियों आदि बिन्दुओं पर दिया गया हैं. उम्मीद करते है आपको लोकतंत्र का निबंध पसंद आएगा.

लोकतंत्र पर निबंध Essay On Democracy In Hindi

लोकतंत्र पर निबंध हिंदी में | Essay On Democracy In Hindi

डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) पर शोर्ट निबंध

प्रजातंत्र यूनानी भाषा का शब्द हैं जिसे अंग्रेजी में डेमोक्रेसी ) कहा जाता हैं. लोकतंत्र का अर्थ जनता द्वारा शासित अर्थात् वह शासन प्रणाली जिनमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जनता का शासन होता हैं.

क्या है लोकतंत्र (What is democracy In Hindi)

लोकतंत्र की कई परिभाषित अलग अलग विद्वानों द्वारा दी गईं, मगर अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन द्वारा दी गईं लोकतंत्र की परिभाषा सबसे सबसे अधिक मान्य व अर्थपूर्ण हैं.

इनकी परिभाषा के अनुसार लोकतंत्र जनता का शासन, जनता का द्वारा तथा जनता के लिए शासन ही प्रजातंत्र हैं. इसमें शासन की सम्पूर्ण शक्ति जनता में निहित होती हैं, शासन का मुख्य उद्देश्य जनता की सेवा होता हैं.

प्राचीन काल में विश्व के सभी देशों में राजतन्त्र की शासन व्यवस्था प्रचलन में थी. इस पद्दति के अनुसार जो राष्ट्र मजबूत होता कमजोर राष्ट्रों अथवा राज्यों को अपने अधीन कर लेता था.

राजतंत्र की सबसे बड़ी खामी यह थी, कि इसमें जनता की भागीदारी न के बराबर थी, जनता को किसी प्रकार के अधिकार प्राप्त नही थे.

जैसे जैसे समय बीतता गया, शासन व्यवस्था की नई पद्धतियाँ सामने आती गयी, आज विश्व के अधिकांश देशों में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को अपनाया हुआ हैं, इसे प्रजातंत्र भी कहा जाता हैं. इस व्यवस्था में सता किसी एक व्यक्ति के पास न होकर उसकी ताकत जनता में निहित होती हैं.

लोकतंत्र का विकास (Development of democracy In Hindi)

यदि हम लोकतंत्र की विकास यात्रा पर नजर डाले तो यह अचानक बनने वाली व्यवस्था न होकर, इसके आधुनिक स्वरूप तक आते आते हजारो साल लग गये. मगर आज यह सबसे लोकप्रिय शासन के रूप में सभी देशों में अपनाई जा रही हैं.

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश हैं. भारत में लोकतंत्र के इतिहास की जड़ खोजने का प्रयास करे तो तीसरी शताब्दी के मगध सम्राज्य के 16 महाजनपदों में से वैशाली नामक जनपद में सबसे पहले लोकतंत्र के निशान मिलते हैं.

मगर लोकतंत्र की जन्मस्थली यूरोप को ही माना जाता हैं, मध्यकाल में यहाँ धार्मिक जनजागरण, सुधार आन्दोलन तथा औद्योगिक क्रांति व राजतन्त्र के प्रति गुस्से के रूप में लोकतंत्र का जन्म हुआ. कई पश्चिमी देशों में राजाओं के शासन को समाप्त कर वहां पर प्रजातंत्र की स्थापना के प्रयत्न हुए.

लोकतंत्र का जन्म (history of democracy In Hindi)

यूरोप में मध्यकाल में हुई चार महत्वपूर्ण क्रांतियों के फलस्वरूप लोकतंत्र का जन्म हुआ. 1688 इंग्लैंड की गौरवपूर्ण क्रांति, 1776 अमेरिकी स्वतन्त्रता संग्राम, 1789 फ़्रांसिसी क्रांति तथा 19 वीं सदी की औद्योगिक क्रांति.

ब्रिटेन की गौरवपूर्ण क्रांति ने एक संसदीय शासन व्यवस्था की नीव डाल दी थी. वही अमेरिकी क्रांति के फलस्वरूप वहां पहली लोकतांत्रिक सरकार का गठन हो गया था.

फ़्रांस की क्रांति ने स्वतंत्रता, समानता तथा बन्धुत्व के त्रिस्तम्भ सिद्धांत आज भी लोकतंत्र के मुख्य सिद्धांत माने जाते हैं.

लोकतंत्र का अर्थ, परिभाषा व प्रकार (Meaning, definition and type of democracy In Hindi)

लोकतंत्र के मुख्य रूप से दो प्रकार माने जाते हैं. पहला प्रत्यक्ष लोकतंत्र एवं दूसरा अप्रत्यक्ष लोकतंत्र. इस प्रकार की शासन व्यवस्था जिसमें राज्य की शासन प्रणाली में सभी नागरिक प्रत्यक्ष रूप से शामिल हो उसे प्रत्यक्ष लोकतंत्र कहा जाता हैं.

इस प्रकार की पद्धति छोटे देश में कारगर हो सकती हैं, भारत जैसे देश में प्रत्यक्ष लोकतंत्र की कल्पना करना बेमानी हैं.

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र शासन व्यवस्था में राजकार्यों में जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधि भाग लेते हैं. यह प्रणाली भी दो प्रकार की होती हैं अध्यक्षात्मक और संसदात्मक. भारत में संसदीय शासन प्रणाली का रूप चलन में हैं.

जिसमें जनता द्वारा चुने गये प्रतिनिधि संसद में जाते हैं. बहुमत के आधार पर सरकार व मंत्रिमंडल का निर्माण होता हैं. सरकार का मुख्या प्रधानमंत्री तथा राष्ट्राध्यक्ष राष्ट्रपति होता हैं, मगर उसके पास नामात्र की शक्ति होती हैं.

अमेरिकी में अध्यक्षात्मक लोकतंत्र हैं, जिसमें राष्ट्रपति ही सर्वेसर्वा होता हैं. तथा अन्य पदाधिकारी गौण होते हैं. विश्व के अधिकतर देशों में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र प्रणाली स्वीकार की गईं, इस कारण इसे प्रजातन्त्रीय युग भी कहा जाता हैं.

लोकतंत्र और चुनाव (Democracy and elections In Hindi)

प्रजातंत्र में सरकार के तीन अंग होते हैं, कार्यपालिका, न्यायपालिका तथा व्यवस्थापिका. न्यायपालिका देश में न्याय व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने का कार्य करती हैं. व्यवस्थापिका कानूनों का निर्माण करती हैं. कार्यपालिका विधायिका द्वारा निर्मित कानूनों को सुचारू रूप से चलाने का उत्तरदायित्व अदा करती हैं.

लोकतंत्र के अनेक लाभ हैं. इस प्रणाली में राज्य की अपेक्षा व्यक्ति को अधिक महत्व दिया जाता हैं. राज्य द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को अपना समुचित विकास करने के अवसर मुहैया करवाए जाते हैं.

जिस तरह व्यक्ति एवं समाज एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, उसी तर्ज पर जनता तथा जनतंत्र का गहरा संबंध हैं, जिन्हें अलग करके नहीं देखा जा सकता हैं.

एक तरफ जहाँ लोकतंत्र के कई लाभ हैं, वही हानियाँ भी है. अशिक्षित लोगो के लिए इस शासन व्यवस्था में भी किसी तरह का हित नही हैं. पढ़े लिखे लोग ही अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहते हैं.

अशिक्षित लोगों को धर्म, भाष,क्षेत्र तथा लालच के आधार पर फुसलाकर वोट खरीद लिए जाते हैं. इस शासन व्यवस्था में कई अपराधी, भ्रष्टाचारी भी बैठे हैं.

जो पैसे के दम पर चुनाव जीत लेते हैं. जब तक जनता जागृत न होगी तथा उन्हें अपने अधिकारों का ज्ञान नहीं होगा. इस व्यवस्था में अपनी भागीदारी नही निभा पाएगे.

आलोचक लोकतंत्र को मूर्खों का शासन भी कहते हैं, इसकी वजह इसमें उम्मीदवार की योग्यता न देखकर उनकों बहुमत के आधार पर चुना जाता हैं. इसमें यह आवश्यक नहीं हैं, कि जनता द्वारा चुना गया प्रतिनिधि योग्य एवं ईमानदार हो.

दूसरी स्थति में जनता स्वयं शासन न करते अपने प्रतिनिधियों को चुनती हैं. जनप्रतिनिधियों द्वारा जनता की आकाक्षा पर खरा न उतरने की स्थति में जनता व राज्य का हित दूर की बात हो जाती हैं.

लोकतांत्रिक सरकार की विशेषताएं Features of Democratic Government in Hindi

विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. यहाँ जनता के द्वारा चुने गये प्रतिनिधियों द्वारा सरकार का गठन होता है.

यह तब तक सता में रहती है. जब तक जनता का उन्हें समर्थन प्राप्त होता है. हर पांच साल के बाद भारत में लोकसभा व विधानसभा के लिए चुनाव करवाएं जाते है.

स्वतंत्रता के पश्चात भारत ने लोकतांत्रिक सरकार का रास्ता चुना, ताकि सरकार में जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके. अब हम लोकतांत्रिक सरकार की विशेषताओं पर चर्चा करेगे.

प्रतिनिध्यात्म्क लोकतंत्र – जनता वोट देकर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है. वार्ड पंच, सरपंच, प्रधान, जिला प्रमुख, शहर के पार्षद व मेयर, विधायक और सांसद जनता के प्रतिनिधि होते है.

जो विभिन्न स्तरों पर जनता की ओर से सरकार के संचालन में भागीदारी करते है. इस प्रकार जनता सरकार के कार्यों में अपनी भागीदारी निभाती है.

समानता व न्याय – लोकतांत्रिक सरकार न्याय एवं समानता के आधार पर कार्य करती है. न्याय तभी प्राप्त हो सकता है, जब सभी लोगों के साथ बराबरी का व्यवहार हो. सरकार उन समूहों के लिए विशेष प्रावधान करती है, जो समाज में बराबर नही माने जा रहे है.

जैसे हमारे समाज में लोग लड़को के पालन पोषण पर लड़की से ज्यादा ध्यान देते है. समाज लडकियों को उतना महत्व नही देता, जितना लड़कों को देता है.

इस भेदभाव को दूर करने के लिए सरकार ने कुछ विशेष प्रावधान किये है. ताकि लड़कियाँ समाज में बराबरी पर आ सके. इसी प्रकार समाज में कुछ वंचित और पिछड़े वर्गों के समूह है. जिनकें उत्थान के लिए विशेष प्रावधान किये गये है.

सरकार का चुनाव 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके देश के सभी वयस्क नागरिक समानता के आधार पर वोट करते है. जनता को एक व्यक्ति, एक वोट, एक मोल के आधार पर सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्राप्त है.

जागरूकता व जवाबदेही – लोकतांत्रिक सर्कार की जनता के प्रति जवाबदेही होती है, क्योंकि लोकतंत्र में जनता ही सरकार को चुनती है. देश में जनता को सूचना का अधिकार दिया गया है.

इस कानून के अनुसार कोई भी व्यक्ति सरकार की नीतियों, उनके कार्यों और आय व्यय के हिसाब की सुचना मांग सकता है. इससे सरकार के कार्यों में पारदर्शिता बढ़ी है और भ्रष्टाचार पर रोक लगी है. साथ ही सरकार एवं लोगों के बिच की दूरी कम हुई है.

समाचार पत्रों, रेडियों, टेलीविजन और इंटरनेट सेवा युक्त कम्प्यूटर जैसे संचार के माध्यमों से मिली सूचनाओं के आधार पर देश के लोग विभिन्न विषयों पर आपस में विचार विमर्श कर सरकार के कार्यों के बारे में अपनी राय बनाते है.

लोककल्याण – लोकतांत्रिक सरकार जनता के लिए होती है. सरकार जनता के कल्याण के लिए कार्य करती है. वह ऐसे कार्यक्रम व योजनाएं चलाती है, जिनसें सभी लोगों का कल्याण हो.

गरीब, कमजोर और पिछड़े लोगों के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे है. सरकारी विद्यालयों में मध्यावधि भोजन की व्यवस्था, महात्मा गांधी नरेगा योजना के जरिये रोजगार देना, निशुल्क दवा योजना आदि सरकार के लोक कल्याणकारी कार्यक्रम है

विवादों का समाधान – भारत विविधताओं का देश है. कभी कभी विविधताओं से विवाद की स्थति पैदा हो जाती है. जनता के विवादों और समस्याओं का समाधान करने की जिम्मेदारी सरकार की होती है.

सरकार शांतिपूर्ण तरीके से कानून के माध्यम से विवादों के समाधान का प्रयास करती है. लोकतंत्र में सरकार विवादों का समाधान करने में जनमत का सम्मान करती है.

समाज से ही सरकार का गठन होता है. सरकार और समाज में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है. लोकतांत्रिक सरकार व्यक्ति के विकास और उसके जीवन को बेहतर बनाने का अवसर प्रदान करती है.

लोकतंत्र पर दीर्घ निबंध long essay on democracy For school kids & students in hindi

लोकतंत्र शब्द का उपयोग आज हम जिस राजनैतिक अवधारणा हेतु कर रहे हैं, उस अवधारणा का मूल हमे ग्रीस में मिलता हैं, ग्रीस में इसके लिए प्रयुक्त शब्द था डेमोक्रेसी जिसका आशय होता हैं डेमो यानी जनता द्वारा शासन. यहाँ जनता का अर्थ हैं किसी राष्ट्र अथवा क्षेत्र या कबीले की कुल जनसंख्या, विशेषकर वयस्क जनसंख्या.

कुल जनसंख्या एक तरह से पर्सनल यूनिट के रूप में एक संस्थागत स्वरूप धारण करती हैं यानी लोकतंत्र में हर एक प्रजा एक सिविल यूनिट की तरह स्वीकृत होती हैं.

हम जानते हैं कि कोई भी दो इन्सान कभी भी भौतिक या प्राकृतिक रूप में एक नहीं हो सकते हैं, क्योंकि दोनों की फिजिकल, मैटली बनावट के साथ ही जरूरते और इच्छाएं भी अलग अलग होती हैं.

जाहिर है उनका नजरिया, मान्यताएं, विश्वास और व्यवहार भी एक जैसे नहीं हो सकते, मगर जनता के द्वारा शासन की थ्यौरी एवं व्यवहार सभी जगह दृष्टिगत होता हैं.

व्यवहारिक रूप में जनता से हमारा अर्थ होता हैं मेजोरिटी पीपल यानी बहुसंख्यक आबादी, ऐसे में लोकतंत्र में बहुमत से जो निर्णय लिया जाता हैं उनका सभी द्वारा पालन किया जाता हैं. परन्तु इसका मतलब यह नहीं है कि मेजोरिटी जो चाहे वह मायनोरिटी पर लाद दे.

बल्कि लोकतंत्र का उद्देश्य अल्पसंख्यकों के लिए संरक्षण देना, उनको साथ लेकर राजनैतिक व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाना हैं. अल्पसंख्यक जनसंख्या की भावना और उनके विश्वास का सम्मान करना लोकतंत्र का मुख्य बिंदु हैं. वैसे इसके सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक पह्लूओ में आपकी मतभेद की गुंजाइश बनी रहती हैं.

विरोध को सदैव नेगेटिव रूप में नहीं लेना चाहिए बल्कि यह आज की व्यवस्था, संस्था और प्रणाली के बेहतर विकल्प को सुझाने या उपलब्ध करवाने में अहम भूमिका अदा करता हैं.

सोवियत रूस के पूर्व राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने कहा था एक समय सोवियत के प्रभावी और सुद्रढ़ समाजवादी ढाँचे से निकले विरोध और मतभेद सामने आए और उन्ही की बदौलत एक बेहतर विकल्प के रूप में मान्य भी हुए.

किसी भी हेल्दी और प्रोग्रेसिव डेमोक्रेसी में अल्पसंख्यक वर्ग की भावना का पूरा पूरा ख्याल रखा जाता हैं, भले ही निर्णय बहुसंख्यक तबके द्वारा लिए जाते हो. बहस और विवाद इनवायरमेंट में ताजगी लाते हैं, और दोनों पक्षों को समान बिन्दुओं पर लाने में भी सक्षम होते हैं.

अगर असहमति के पोजिटिव पहलुओं को भी दबा भी लिया जाए तो उसका परिणाम असंतोष एवं क्रोध के रूप में सामने आता हैं और ये कभी कभी वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था के प्रति विद्रोह की शुरुआत कर देता हैं.

इसके परिणाम बड़ी क्रांति, खून खराबे, हिंसा या विध्वंस किसी भी रूप में सामने आ सकता हैं. यही वजह है कि असहमतियों के प्रति सहानुभूति के भाव की आवश्यकता हैं जो कि लोकतंत्र के मूल्यों में निहित हैं.

वैसे किसी भी चीज की अति का नतीजा भी बुरा ही होता हैं यह बात प्रतिरोध पर भी लागू होती हैं जो चाहे लोकतंत्र के प्रति हो या अन्य किसी व्यवस्था के प्रति. ऐसे में सदैव विरोध का दायरा निश्चित किये जाने की बात भी की जाती हैं. जो कुछ हद तक ठीक भी हैं.

लोकतंत्र में नागरिकों को कई प्रकार की स्वतंत्रताए मिलती हैं जिनमें धन कमाने, राजनैतिक, धार्मिक, किसी तरह की आस्था, अभिव्यक्ति, समूह आदि बनाने की फ्रीडम शामिल हैं. इस तरह की व्यक्तिगत और सामूहिक फ्रीडम का आशय यह भी नहीं है कि दूसरे व्यक्ति या समूह के हितों का हनन किया जाएं.

जैसे फासीवाद की विरोधी नीति या वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में स्थापित करने के प्रयत्न के नाम पर छुट दे देना भी कही से भी ठीक नहीं हैं. भले ही ऐसी मांग करने वाले लोगों की तादाद ज्यादा हो और अच्छे रसूक रखने वाले लोग भी उनके साथ क्यों न खड़े हो.

क्योंकि इस तरह की असहमतियां अपना मानवीय धरातल भी खो चुकी होती हैं. क्योंकि लोकतंत्र जनता के लिए हैं अगर कोई चीज जनता के हितों के खिलाफ जाती हैं तो उसकी लोकतांत्रिक धरातल स्वतः खत्म हो जाएगी.

लोकतंत्र के दुखद पहलूओं में एक यह भी है कि जो लोकतांत्रिक सुविधाओं का सर्वाधिक उपभोग करते हैं वे ही अपने हित के खिलाफ कुछ भी होने पर सिस्टम के खिलाफ सबसे अधिक मुखर होकर विरोध करते हैं.

राजनीति के क्षेत्र में प्रतिरोध के दो स्तर देखे जाते हैं एक अंतर्दलीय और दूसरा अतः दलीय. अंतद्रलीय असहमतियों में ख़ास बात यह होती है यद्यपि पार्टी अथवा दल के सभी सदस्य दलीय सिद्धांतों एवं अनुशासन के प्रति पूरी आस्था रखते हैं तथापि दल के प्रति आपत्ति होती हैं. इस विरोध का यथोचित समाधान या सम्मान टॉप लीडरशिप को ही करना पड़ता हैं, अन्यथा जनता में उनकी इमेज डिक्टेटर की हो जाती हैं.

इसके साथ ही यहाँ असहमती रखने वाले से यह भी उम्मीद की जाती हैं वे अपनी शिकायतें केवल दल के मंच या भीतरी खाने तक ही रखे, बाहर नहीं. अन्यथा पार्टी की इमेज पर गलत प्रभाव पड़ता हैं और पार्टी के अनुशासन पर भी नकारात्मक असर पड़ता हैं.

इस प्रकार लोकतंत्र में विभिन्न एवं विरोधी विचारों वाले दलों को बनाने और गतिविधियों के लिए आजादी होती हैं. अगर एक मजबूत पार्टी कमजोर का दमन करने लग जाए तो एक समय ऐसा आएगा जब बहुदलीय व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और फिर से तानशाही का दौर आ जाएगा.

भारत में जब जब किसी राजनैतिक पार्टी ने असहमति की भावना को नजरअंदाज किया हैं चाहे वो आवाज पार्टी के भीतर से उठी हो या बाहर से, परिणाम के रूप में उस दल का विभाजन ही हुआ हैं अथवा जनता ने उन्हें सत्ता से बेदखल ही किया हैं.

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अब तक चार बार विभाजन हो चूका हैं ऐसा पार्टी के नेतृत्व के स्वेच्छाकारी हो जाने की स्थिति में तथा पार्टी के भीतर की असहमतियों की आवाज पर ध्यान न देने का नतीजा था.

भारतीय जनता पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टियाँ एवं अन्य दल विरोधी लक्ष्यों एवं विचारों के बावजूद अपना अस्तित्व बचा सके हैं यह इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय लोकतंत्र में प्रतिरोधों के प्रति स्वस्थ और सम्मानजनक दृष्टिकोण पर्याप्त मात्रा में हैं.

लोकतंत्र में नागरिकों को जीविकापार्जन के लिए कारोबार करने की स्वतंत्रता हैं इसके फलस्वरूप कई तरह के बिजनैस यहाँ प्रचलित हैं. यहाँ भी ढाचागत आर्थिक निति को लेकर कई तरह के मत मतान्तर हो सकते हैं.

उदाहरण के लिए, कुछ उदारीकरण का समर्थन कर सकते हैं कुछ पूंजीवाद का तो कुछ अन्य विचारधारा का. जबकि अन्य राष्टीयकरण समाजवादी नजरिये का समर्थन कर सकते हैं.

कम से कम सभी तरह की सलाह और धुर विरोधी अपेक्षाओं को सुनना और उन पर विचार करना लोकतांत्रिक सरकार से अपेक्षित होता हैं. भले ही उन्हें लागू करने की स्थिति में हो अथवा नहीं.

यह विरोधी मतवादों के प्रति सम्मान व्यक्त करना ही होता हैं, जब कोई मंत्री या किसी ऑफिस का प्रवक्ता नीतिगत स्पष्टीकरण देता है या सुझावों के मद्देनजर कोई भरोसा देता हैं या नीतिगत परिवर्तन की घोषणा करता हैं.

लोकतांत्रिक समाज में कोई वर्ग अथवा समूह की संरचना और उसके स्वरूप में बहुसंख्यक से भिन्न हो सकता हैं. मगर इस कारण बहुसंख्यक को अल्पसंख्यक की उस स्थिति में परिवर्तन के लिए दखल देने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं हो जाता हैं.

जैसा कि मानव स्वभाव हैं अलग अलग बैकग्राउंड के समूह के लोग अपने तरीके और मूल्यों के साथ रहना पसंद करते हैं और वे उसी में ही स्वयं को सुखदायी समझते हैं.

ऐसे में किसी तथाकथित समतामूलक समाज की व्यवस्था के प्रयास के तहत उन लोगों की लाइफ स्टाइल में दखल विधिक नहीं होगा, क्या केरल और पूर्वोत्तर के कुछ मातृसत्तात्मक समूहों पर पितृसत्तात्मक बनाने के लिए प्रेशर डालना सही होगा.

सिर्फ इस आधार पर कि उनकी मान्यता मुख्य धारा के अनुरूप नहीं हैं. फिर लोकतंत्र का महत्व ही क्या रह जाएगा, जब कोई सोशियल ग्रुप अपनी मान्यताएं किसी दूसरे समूह पर आरोपित करने के प्रयत्न करेगा. हमारी संस्कृति भी तो जीयो और जीने दो के आधारभूत सिद्धांत की बात करती हैं.

संसार के लगभग प्रत्येक हिस्से में कल्चरल डायवर्सिटी की स्थिति है भारत इसका अपवाद नहीं हैं. भारत में धार्मिक मान्यता, रीती रिवाज, पहनावा, खान पान भाषा नृत्य समेत अनेक चीजों में विभिन्नताएं हैं.

कुछ विशेष क्षेत्रों की संस्कृति अन्य क्षेत्रों के लिए विचित्र या हास्यास्पद भी हो सकती हैं. मगर इस कारण उसका उपहास लोकतांत्रिक मूल्यों का अपमान हैं.

नागालैंड और मेघालय के नागाओं और जैयनतियों को अपनी संस्कृति से सम्भवत शेष भारत की तुलना में अधिक लगाव हैं. इसी तरह मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरूद्वारे से जुड़े धर्मों के लिए भी समान महत्व रखते हैं. एक की कीमत पर दूसरे का ध्वंस कही से भी उचित नहीं ठहराया जा सकता हैं.

इस प्रकार, लोकतंत्र में सकारात्मक प्रतिरोधों का सदैव सम्मान किया जाना चाहिए, परन्तु प्रतिरोधी विचारों पर भी अपने विचार थोपने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि ऐसा प्रयास भी एक तरह की वैचारिक हिंसा हैं जिससे लोकतांत्रिक मूल्यों को हानि पहुचती हैं.

चूँकि लोकतंत्र में जनता अपनी भावनाओं और अपेक्षाओं को तर्कों के आधार पर स्थापित करती हैं इसलिए स्थापित मानदंड के साथ ही साथ विरोधी मानदडो के प्रति भी सहानुभूतिपूर्वक व्यवहार करना अपेक्षित हैं ताकि व्यवस्था स्वेच्छाकारी या अप्रगतिशील प्रवृत्तियों घर न कर जाएं.

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

भारत में प्रजातंत्र का भविष्य पर निबन्ध | Essay on The Future of Democracy in India in Hindi

essay on democracy in india in hindi

भारत में प्रजातंत्र का भविष्य पर निबन्ध | Essay on The Future of Democracy in India in Hindi!

ADVERTISEMENTS:

अधिकारों की असमानता तथा अवसरों की विषमता आन्दोलनों को जन्म देती है । इस प्रकार राजतंत्र तथा कुलीनतंत्र के ध्वंसावशेषों पर प्रजातंत्र राजनैतिक समानता के सिद्धांत के साथ उदित हुआ है ।

यह निस्संदेह अपने आप में एक उच्च सामाजिक आदर्श है । ब्रिटिश लेखक जार्ज बनार्ड शॉ के मतानुसार, ”प्रजातंत्र एक सामाजिक व्यवस्था है जिसका लक्ष्य सामान्य जनता के सर्वाधिक कल्याण में निहित है न कि एक वर्ग विशेष के कल्याण में ।”

एक ऐसा विश्व जिसमें लोगों की आवाज भगवान की आवाज है तथा प्रत्येक 21वर्ष से अधिक के व्यक्ति की राजनीतिक क्षमता, एवं कुशलता असीमित, अमोध एवं अचूक है, बर्नाड के अनुसार यह एक प्रकार का परियों का देश है ।

विश्वविख्यात राजनैतिक सिद्धांतवादियों के अनुसार तीन मूल आवश्यकताएं प्रजातंत्र को अवश्य ही परिपूर्ण करनी चाहिए । इसका मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों का कल्याण करना, विभिन्न मतभेदों को वाद-विवाद एवं संधि-समझौते के द्वारा दूर करना और अंतत: एक समानतावादी समाज की स्थापना के लिए कार्य करना है । यदि हम पृष्ठभूमि का आलोचनात्मक अवलोकन करें तो हम देखते हैं कि जब से हमें स्वतंत्रता मिली है तभी से भारत में प्रजातांत्रिक व्यवस्था का विकास इन्ही कारणों से असंतोषजनक रहा है ।

सर्वाधिक लोगों के सर्वाधिक कल्याण के लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयत्नों को नागरिकों विधायकों तथा मन्त्रियों द्वारा स्वार्थी तथा संकुचित हितों को अनावश्यक रूप से प्रधानता देने के कारण बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने का मार्ग अवरुद्ध हो गया है । इसका सबसे उचित तथ्य तथा सबूत देश में से भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार से ग्रस्त न हो ।

संथानम समिति जिसकी स्थापना सरकार ने भ्रष्टाचार की समस्या के अध्ययन को जानने के उद्देश्य से की थी, के मतानुसार मंत्री विधायक तथा राज्याधिकारी सभी स्वतंत्र रूप से दंडविधान से निश्चित, बेरोक-टोक भ्रष्टाचार में डूबे है ।

दलगत भावना किसी भी जगह प्रजातांत्रिक परम्परा के विकास को अवरुद्ध कर सकती है । भारत में ये विभिन्न रूपों में प्रदर्शित होती है । यह दलगत भावना ही है जो संकीर्णतावाद को बढ़ावा दे रही है तथा उसे उत्पेरित करती है । इसके अलावा पृथकतावादी प्रवृतियों ने देश की एकता को भी खतरे में डाल रखा है ।

आज व्यक्ति की महत्ता दल की महत्ता की अपेक्षा गौण है । जनसामान्य दल के परिपेक्ष में ही व्यक्ति की महत्ता को देखते हैं । निर्वाचनों में स्वतंत्र उम्मीदवार के जीतने के अवसर बहुत ही कम होते है क्योंकि चुनाव सामान्यत: बड़े राजनीतिक दलों द्वारा लड़े जाते हैं तथा व्यक्तिगत उम्मीदवारों की योग्यता तथा गुण ऐसी निर्वाचन पद्धति में कोई महत्व नहीं रखते ।

प्रजातन्त्र की तीसरी प्रमुख विशेषता यह है कि सर्वदा एक समानतावादी समाज की स्थापना के लिए कार्य करे । एक ऐसे समाज की स्थापना होनी चाहिए जिसमें सबकों समान अवसर प्राप्त हो । यह स्पष्टतया ऐसी स्थिति में असंभव से प्रतीत होते हैं जबकि प्रमुख प्रधानता व्यक्तिगत स्वार्थो, हितों और दलगत भावना को दी जाती है ।

राजनीतिज्ञ प्रत्येक विषय अथवा वस्तु का निजी हित की दृष्टि से तोलते हैं । वे वस्तु को निजी हित की शिक्षा से लेकर सामाजिक कल्याण के क्षेत्रों तक में नीति का गला घोटने में और अन्याय का साथ देने में संकोच नहीं करते । निजी हितों के कारण समानतावादी समाज की स्थापना पूर्णत: असंभव लगती है ।

एक प्रजातान्त्रिक सरकार को न केवल संसदीय बहुमत की अपितु संसदीय अल्पमत की भी उतनी ही आवश्यकता है जोकि एक सुदृढ़ विरोधी दल के रूप में कार्य कर सके । संसदीय प्रजातंत्र तब तक सफलतापूर्वक कार्य नहीं कर सकता जब तक कि सत्तारूढ़ दल और विरोधी दल अपने मध्य मतभेदों की शांति पूर्वक संवैधानिक तरीकों से हल कर पाने में सहमत न हों । नई सरकार विभिन्न विषयों पर विरोधी दलों के सदस्यों का मत भी प्राप्त कर सकती है ।

परम्परागत प्रजातांत्रिक व्यवस्था भारत की आवश्यकताओं के अनुरूप सिद्ध नही हुई है । प्रमुख समस्या प्रजातंत्र की परम्परावादी संस्थाओं को परिवर्तित करके उसे आधुनिक समय के अनुकूल बनाने की है । प्रजातंत्र की अकुशलता सर्वप्रथम उसके आर्थिक पहलू में उजागर हुई है ।

इस प्रकार भारत में प्रजातंत्र की एक सबसें बड़ी समस्या आर्थिक व्यवस्था को इस प्रकार से व्यवस्थित करने की है जिससे कि प्रत्येक व्यक्ति को उचित जीवन स्तर प्राप्त कराया जा सके तथा उन्हें सुरक्षा तथा स्वतंत्रता प्रदान की जा सके ।

Related Articles:

  • भारत में कुटीर उद्योगों का भविष्य पर निबंध | Essay on The Future of Cottage Industries in India in Hindi
  • ”प्रजातंत्र के सभी दोषों के बावजूद मैं उसे पसंद करता हूँ ” (निबन्ध) | Essay on “Democracy, With All Thy Faults I Love Thee” in Hindi
  • हिंसा और प्रजातंत्र साथ-साथ नहीं चल सकते पर निबन्ध | Essay on Violence and Democracy Cannot go Together in Hindi
  • भारत में संसदीय लोकतंत्र की सार्थकता पर निबन्ध | Essay on Parliamentary Democracy in India in Hindi

essay on democracy in india in hindi

45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today

Meet top uk universities from the comfort of your home, here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.

essay on democracy in india in hindi

Verification Code

An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify

essay on democracy in india in hindi

Thanks for your comment !

Our team will review it before it's shown to our readers.

Leverage Edu

  • School Education /

Essay on Indian Democracy in 100 and 200 Words for School Students in English

essay on democracy in india in hindi

  • Updated on  
  • Jan 27, 2024

Essay on Indian Democracy

Essay on Indian Democracy: A democracy is a form of government in which voters utilize their right to vote. India has been colonized by Europeans for centuries and has been ruled by several kings and emperors; democracy is highly valued there. Democracy has a special position in India, a country that has seen many monarchs and emperors as well as centuries of European colonisation. Indeed, India is the largest democracy in the world. Check out the sample essay on Indian Democracy in 100 and 200 Words for school students in English. 

Also Read: Essay on Democracy in 100, 300 and 500 Words

Essay on Indian Democracy in 100 Words

The world’s largest democracy, India’s, is a vibrant fabric of unity and variety. It was formed in 1950 on the tenets of freedom, justice, and equality. The political structure of India allows for a multiparty system, guaranteeing the representation of different ideas. Elections regularly enable people to select their leaders, promoting a concept of participatory governance. Notwithstanding obstacles, the democratic spirit persists, encouraging diversity and defending individual liberties. The cornerstone that directs the country’s democratic culture is the Indian Constitution . The democracy of India is a shining example of the tenacity of democratic institutions and the dedication to promoting a pluralistic society.

Also Read: Sources of the Indian Constitution: Detailed Notes for Competitive Exams

Essay on Indian Democracy in 200 Words

India has the largest democratic system in the world, which is evidence of its unwavering commitment to plurality and tolerance. It was founded in 1950 with the ratification of the Constitution and is based on the ideas of justice, equality, and freedom. India’s democratic system depends on periodical elections where people can exercise their right to vote and guarantee that different ideas are represented in the multi-party system.

The capacity of Indian democracy to accept a wide range of linguistic, cultural, and religious diversity within a single political framework is one of its main advantages. The Constitution serves as the cornerstone, offering a strong legal system that protects individual liberties and prevents arbitrary authority.

The democratic spirit endures despite obstacles like socioeconomic inequality and regional complexity. Regular elections at all governmental levels promote the peaceful handover of power and strengthen the democratic values of responsiveness and accountability.

Beyond its political system, India is devoted to democracy. It includes an independent court, a thriving civil society, and a free press—all essential elements that support the nation’s democracy.

To sum up, India’s democracy is a dynamic and developing framework that embodies the country’s commitment to promoting unity among diversity. It acts as a lighthouse, illustrating the tenacity of democratic principles and the ongoing quest for a fair and inclusive society.

Also Read: 11 Features of Democracy in India

Ans: Indian democracy empowers citizens to actively participate in the decision-making process. It fosters inclusivity, diversity, and social justice, ensuring that the voices of a billion people are heard.

Ans: The evolution of Indian democracy is a dynamic process marked by constitutional amendments, electoral reforms, and societal changes. From its inception in 1950, the system has adapted to the needs of a growing and diverse nation. 

Ans: Despite its strengths, Indian democracy faces contemporary challenges such as corruption, political polarisation, and issues related to social and economic inequality. Understanding and addressing these challenges is crucial for sustaining a healthy democratic system. Efforts towards electoral transparency, accountable governance, and fostering civic engagement play a vital role in overcoming these obstacles.

Related Reads:




Follow Leverage Edu for more interesting topics on essay writing . 

' src=

Nidhi Mishra

Nidhi Mishra is a seasoned senior content writer with more than eight years of diverse experience in the field of education. Her varied career encompasses work in teaching, training, counselling, developing curriculum, and content creation. Nidhi has a solid background in education and has developed her abilities to meet the diverse needs of students, especially students who want to study abroad. Throughout her career, Nidhi has been an invaluable resource to students with their test-taking efforts, offering thorough career assistance and insightful advice on how to navigate the complexity of the system of education. Her speciality is creating interesting and educational content that is specifically designed to fulfil the needs of students who want to pursue higher education abroad. Together with her wonderful writing skills, Nidhi's love of education has allowed her to produce content that has a lasting impression on readers, educators, and students alike. She is committed to providing high-quality, timely, and insightful content because she believes that education can empower people.

Leave a Reply Cancel reply

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Contact no. *

essay on democracy in india in hindi

Connect With Us

45,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..

essay on democracy in india in hindi

Resend OTP in

essay on democracy in india in hindi

Need help with?

Study abroad.

UK, Canada, US & More

IELTS, GRE, GMAT & More

Scholarship, Loans & Forex

Country Preference

New Zealand

Which English test are you planning to take?

Which academic test are you planning to take.

Not Sure yet

When are you planning to take the exam?

Already booked my exam slot

Within 2 Months

Want to learn about the test

Which Degree do you wish to pursue?

When do you want to start studying abroad.

January 2024

September 2024

What is your budget to study abroad?

essay on democracy in india in hindi

How would you describe this article ?

Please rate this article

We would like to hear more.

Have something on your mind?

essay on democracy in india in hindi

Make your study abroad dream a reality in January 2022 with

essay on democracy in india in hindi

India's Biggest Virtual University Fair

essay on democracy in india in hindi

Essex Direct Admission Day

Why attend .

essay on democracy in india in hindi

Don't Miss Out

  • Foreign Affairs
  • CFR Education
  • Newsletters

Council of Councils

Climate Change

Global Climate Agreements: Successes and Failures

Backgrounder by Lindsay Maizland December 5, 2023 Renewing America

  • Defense & Security
  • Diplomacy & International Institutions
  • Energy & Environment
  • Human Rights
  • Politics & Government
  • Social Issues

Myanmar’s Troubled History

Backgrounder by Lindsay Maizland January 31, 2022

  • Europe & Eurasia
  • Global Commons
  • Middle East & North Africa
  • Sub-Saharan Africa

How New Tobacco Control Laws Could Help Close the Racial Gap on U.S. Cancer

Interactive by Olivia Angelino, Thomas J. Bollyky , Elle Ruggiero and Isabella Turilli February 1, 2023 Global Health Program

  • Backgrounders
  • Special Projects

Nonproliferation, Arms Control, and Disarmament

CFR Welcomes Lori Esposito Murray

July 25, 2024

  • Centers & Programs
  • Books & Reports
  • Independent Task Force Program
  • Fellowships

Oil and Petroleum Products

Academic Webinar: The Geopolitics of Oil

Webinar with Carolyn Kissane and Irina A. Faskianos April 12, 2023

  • Students and Educators
  • State & Local Officials
  • Religion Leaders
  • Local Journalists

NATO’s Future: Enlarged and More European?

Virtual Event with Emma M. Ashford, Michael R. Carpenter, Camille Grand, Thomas Wright, Liana Fix and Charles A. Kupchan June 25, 2024 Europe Program

  • Lectureship Series
  • Webinars & Conference Calls
  • Member Login

The Future of Democracy in India

Women line up to cast their votes outside a polling station during the sixth phase of the general election in Sonipat, in the northern Indian state of Haryana, India, May 25, 2024.

Indian voters signaled they want change, but achieving change requires restoring democratic practices.

Article by Linda Robinson

August 1, 2024 8:42 am (EST)

The outcome of India’s elections this year represent an opportunity for the world’s largest country to regain its democracy, but that outcome will depend on mobilization by Indians and an assertive opposition led by Rahul Gandhi, who campaigned on the theme of restoring democracy and protecting India’s secular constitution from attempts to propagate Hindu nationalism, or Hindutva, in India by Prime Minister Narendra Modi’s dominant Bharatiya Janata Party.  

While voters delivered Modi a severe rebuke in June by handing him a minority share of the votes, he was able to form a government by relying on coalition partners. That rebuke, together with the striking comeback of the once-dominant Indian National Congress and its formation of a significant opposition bloc, showed that competitive multiparty elections are still possible in the world’s largest country, once known as the world’s largest democracy. But the steady erosion of political and civil liberties, institutional checks on executive power, and courts’ independence beginning in 2008 led democracy watchdog Varieties of Democracy (V-Dem) to downgrade India to an “electoral autocracy” in 2018, and this year the organization called India “one of the worst autocratizing countries,” citing Modi’s widening suppression of political opponents, the media, religious and ethnic minorities, and civil society organizations. Women remain highly underrepresented in government and their rights continue to be circumscribed by law and custom. 

Elections and Voting

Democratization

U.S.-India Relations

Trade and Investment

In recent years, Modi has ratcheted up the repression of journalists, using Pegasus spyware, hacking, raids of news organizations including the BBC as well as local papers, and sham charges against investigative journalists like Rana Ayyub. His primary political opponent, Rahul Gandhi, was sentenced for defaming him and stripped of his seat in the Indian Parliament. Modi has gone after other opponents with the Unlawful Activities Prevention Act, counterterrorism laws, and a new online censorship bill. Over seventeen thousand nongovernmental organizations, including Oxfam and CARE International, have been harassed and denied foreign funding, replicating a practice in Russia and other autocratic states. Academic freedom has been quelled, according to Freedom House’s 2024 report , leading to the dismissal of professors critical of the government. The Supreme Court upheld Modi’s revocation of the autonomous status of Jammu and Kashmir, India’s only Muslim-majority state, as part of a sweeping campaign to strip Muslims of their rights and advance an ultranationalist Hindu vision of India. 

Women Around the World

Women around the world examines the relationship between the advancement of women and u.s. foreign policy interests, including prosperity and stability.  1-2 times weekly., daily news brief, a summary of global news developments with cfr analysis delivered to your inbox each morning.  weekdays., think global health.

A curation of original analyses, data visualizations, and commentaries, examining the debates and efforts to improve health worldwide.  Weekly.

Despite having a woman in the presidency, a largely symbolic office, India’s women have not prospered under Modi. Women only comprise 14.7 percent of the legislature, and a promised reserved quota of 30 percent in the lower house will not materialize until a long-delayed census is conducted, possibly in 2028 or 2029. Gender inequality is deeply entrenched in economic, cultural, and legal forms, and attempts to advance women’s rights in India have sometimes backfired , according to research by political scientist Rachel Brulé. Reserved quotas have enabled women to press for inheritance and property rights in some cases, but in others created a backlash and an upsurge in female infanticide. That practice has led to an enduring imbalance in women as 48.4 percent of the population. According to social scientist Anoop Sadanandan, the preference for sons is especially pronounced in India’s Hindu states , and overall women there receive less education and are poorer and unhealthier. 

The fate of democracy in India carries consequences for the rest of the world. Arresting the global rise of autocracy will likely not be possible without a return to democracy in India. As the world’s largest country—its 1.4 billion people make up 18 percent of the world’s total population—India’s sheer size alone gives it enormous sway. Alliances among autocratic leaders also extend their individual clout. Modi has banded together with another dominant autocrat, Russia’s Vladimir Putin, and visited him on his first trip abroad since the formation of his new government to strike new deals on economic and military cooperation. India is the second-largest importer of Russian oil, and his bear hug of the Russian leader underlines his rejection of sanctions and the West’s attempt to halt Russia’s brutal ongoing war in Ukraine. 

Despite making support for democracy a part of its foreign policy, the United States has not made supporting democracy in India a priority. The United States, eager to court India as part of its strategy to contain China’s global muscle-flexing, issued tepid lamentations about Modi’s visit and continued embrace of Putin. The White House also welcomed Modi on a state visit last year and will continue to prioritize India’s role in the Indo-Pacific over any serious pressure to restore its democracy. That is a mistake: a democratic India makes for a stronger ally with an enduring base of support at home. 

Explore More on India

India’s Muslims: An Increasingly Marginalized Population

Backgrounder by Lindsay Maizland March 18, 2024

What Did Prime Minister Modi’s State Visit Achieve?

Blog Post by Manjari Chatterjee Miller June 26, 2023 Asia Unbound

Modi's State Visit: Prospects for the U.S.-India Relationship and Navigating the Global Order

Blog Post by Manjari Chatterjee Miller June 21, 2023 Asia Unbound

Top Stories on CFR

Are Israel and Iran Headed for All Out War?

Expert Brief by Steven A. Cook July 31, 2024

Toward a More Prosperous, Less Polarized, Worker-Friendly Economy

Article by Alex Raskolnikov and Benn Steil July 22, 2024 RealEcon

The Spotty International Tax Record of Big U.S. Technology Companies

Blog Post by Brad W. Setser July 28, 2024 Follow the Money

  • Search Menu

Sign in through your institution

  • Advance articles
  • Author Guidelines
  • Submission Site
  • Open Access
  • Why Publish with JSH?
  • About Journal of Social History
  • Editorial Board
  • Advertising and Corporate Services
  • Journals Career Network
  • Self-Archiving Policy
  • Dispatch Dates
  • Journals on Oxford Academic
  • Books on Oxford Academic

Practicing Censorship? Paper, Print, and Democracy in India

ORCID logo

  • Article contents
  • Figures & tables
  • Supplementary Data

Ritika Prasad, Practicing Censorship? Paper, Print, and Democracy in India, Journal of Social History , 2024;, shae017, https://doi.org/10.1093/jsh/shae017

  • Permissions Icon Permissions

Examining a series of legal challenges by newspaper companies in the first half-century after Indian Independence (1947), this essay examines the legal boundaries and practical content of press freedom in postcolonial India. The cases, which were concerned with official regulation of page length, newsprint allocation, and customs duties, were far from obvious attempts at censorship. And yet the petitioners claimed that such regulation of form, price, and material did, in fact, violate their constitutionally guaranteed right to freedom of speech and expression. Meanwhile, the newly democratic Indian state contended that its prescriptive directives were affirmative measures intended to protect fledgling newspapers from competition with larger conglomerates—and, thus, necessary to ensure such diversity of news and opinion as fostered genuine freedom of the press. In drawing attention to more prosaic and oblique ways in which the press can be controlled, this essay highlights the complexity of defining press freedom in practice , especially in functioning democracies that not only hope to maintain that status but also retain international credibility. The legal battles point to the tension between abstract ideas of freedom and affirmative commitments to equity as it materialized in a newly independent country with tremendous diversity. Given that these cases stretch across the Emergency (1975–77)—which remains a defining event in terms of formal state censorship in postcolonial India—they also demonstrate how routine strategies of control often have a more subterranean timeline that traverses formal disruptions in state–press relations, including, in this case, the transition from colonialism to independence.

Personal account

  • Sign in with email/username & password
  • Get email alerts
  • Save searches
  • Purchase content
  • Activate your purchase/trial code
  • Add your ORCID iD

Institutional access

Sign in with a library card.

  • Sign in with username/password
  • Recommend to your librarian
  • Institutional account management
  • Get help with access

Access to content on Oxford Academic is often provided through institutional subscriptions and purchases. If you are a member of an institution with an active account, you may be able to access content in one of the following ways:

IP based access

Typically, access is provided across an institutional network to a range of IP addresses. This authentication occurs automatically, and it is not possible to sign out of an IP authenticated account.

Choose this option to get remote access when outside your institution. Shibboleth/Open Athens technology is used to provide single sign-on between your institution’s website and Oxford Academic.

  • Click Sign in through your institution.
  • Select your institution from the list provided, which will take you to your institution's website to sign in.
  • When on the institution site, please use the credentials provided by your institution. Do not use an Oxford Academic personal account.
  • Following successful sign in, you will be returned to Oxford Academic.

If your institution is not listed or you cannot sign in to your institution’s website, please contact your librarian or administrator.

Enter your library card number to sign in. If you cannot sign in, please contact your librarian.

Society Members

Society member access to a journal is achieved in one of the following ways:

Sign in through society site

Many societies offer single sign-on between the society website and Oxford Academic. If you see ‘Sign in through society site’ in the sign in pane within a journal:

  • Click Sign in through society site.
  • When on the society site, please use the credentials provided by that society. Do not use an Oxford Academic personal account.

If you do not have a society account or have forgotten your username or password, please contact your society.

Sign in using a personal account

Some societies use Oxford Academic personal accounts to provide access to their members. See below.

A personal account can be used to get email alerts, save searches, purchase content, and activate subscriptions.

Some societies use Oxford Academic personal accounts to provide access to their members.

Viewing your signed in accounts

Click the account icon in the top right to:

  • View your signed in personal account and access account management features.
  • View the institutional accounts that are providing access.

Signed in but can't access content

Oxford Academic is home to a wide variety of products. The institutional subscription may not cover the content that you are trying to access. If you believe you should have access to that content, please contact your librarian.

For librarians and administrators, your personal account also provides access to institutional account management. Here you will find options to view and activate subscriptions, manage institutional settings and access options, access usage statistics, and more.

Short-term Access

To purchase short-term access, please sign in to your personal account above.

Don't already have a personal account? Register

Email alerts

Companion articles.

  • Glimpses of Haiti in West Africa, 1890–1920
  • Introduction: Rethinking Colonial Print through Practices
  • An End Overcome by a Beginning: The Diminishment of the Khedivate, the Fading Away of Its Print Culture, and the Rise of Debates Over Society’s Direction in Colonial Egyptian Print
  • Typographic Hegemony and Bibliographical Monoculture: The Ascendancy of Mechanical Print in Modern Korea
  • Racializing Print Capitalism in the Transimperial Pacific: “The Printers Fear the Invasion of the Yellow Peril”
  • Printing Capitalism in Nineteenth-Century Latin America and the Caribbean

Citing articles via

  • Recommend to your Library

Affiliations

  • Online ISSN 1527-1897
  • Copyright © 2024 Oxford University Press
  • About Oxford Academic
  • Publish journals with us
  • University press partners
  • What we publish
  • New features  
  • Open access
  • Rights and permissions
  • Accessibility
  • Advertising
  • Media enquiries
  • Oxford University Press
  • Oxford Languages
  • University of Oxford

Oxford University Press is a department of the University of Oxford. It furthers the University's objective of excellence in research, scholarship, and education by publishing worldwide

  • Copyright © 2024 Oxford University Press
  • Cookie settings
  • Cookie policy
  • Privacy policy
  • Legal notice

This Feature Is Available To Subscribers Only

Sign In or Create an Account

This PDF is available to Subscribers Only

For full access to this pdf, sign in to an existing account, or purchase an annual subscription.

  • Current Issue
  • Arts & Culture
  • Social Issues
  • Science & Technology
  • Environment
  • World Affairs
  • Data Stories
  • Photo Essay
  • Newsletter Sign-up
  • Print Subscription
  • Digital Subscription
  • Digital Exclusive Stories

essay on democracy in india in hindi

  • CONNECT WITH US

Telegram

‘We must push back, otherwise we’ll live in a police state’: Siddhartha Deb

Author of twilight prisoners on india’s democratic erosion, failures of post-colonial promise, and the need for resistance against authoritarianism..

Published : Aug 03, 2024 22:06 IST - 14 MINS READ

Abhinav Chakraborty

READ LATER SEE ALL Remove

Siddhartha Deb.

Siddhartha Deb. | Photo Credit: Nina Rubin (courtesy of author’s website)

In one of the essays in Twilight Prisoners: The Rise of the Hindu Right and the Decline of India , Siddhartha Deb describes a “violently authoritarian version” of India wherein a government would not refrain from using draconian laws to put ideological opponents behind bars for an indiscriminate period in the name of the “war on terror”. Deb tells Frontline that “despite the compromised system, we have no choice but to fight back”. Twilight Prisoners is a collection of his journalism and essays over the past one and a half decades. As it documents India’s descent into authoritarianism , the book reveals a country in which forces old and new have aligned to endanger democracy.

Journalist and author of novels such as The Point of Return (2003), An Outline of the Republic (2005), and The Light at the End of the World (2023), Deb’s 2011 work of non-fiction, The Beautiful and the Damned , received the PEN Open Book Award and was a finalist for the prestigious Orwell Prize. His journalism and essays have appeared in The New York Times , The Guardian , and The New Republic , among many other publications. In a candid interview, Deb talks about how he came to write about Hindu nationalism, what the 2024 Lok Sabha election results mean for Indian democracy, the crisis journalism faces in India and globally, and more. Excerpts:

In the introduction, you write that the pieces in Twilight Prisoners attempt to intersect politics and aesthetics, and show how “Hindu nationalism and global capitalism reinforce and feed off each other”. You also call this collection a conversation with your fiction, especially your last novel ( The Light at the End of the World ). Could you tell us about the process of putting together this book?

The pieces were written and reported over a decade. I’ve always been interested in India, and all my books are about India in various ways. However, writing about Hindu nationalism wasn’t something I embraced initially; I fell into it reluctantly over the last 15-20 years. After finishing The Light at the End of the World , I began looking back at my non-fiction. This was partly prompted by an Indian journalist requesting a PDF of one of my stories about Burmese refugees in Manipur. As I reread it, I realised the quality and relevance of my work on the rise of Hindu nationalism.

Most of these pieces were published abroad in the UK and US, limiting access for Indian readers. I wanted to correct that. People would occasionally find my work online and reach out, asking for more. This external interest, combined with my own reflection, led me to consider compiling a collection. I saw a narrative in how things had changed over the last 15-16 years, even before the rise of the Hindu Right. I’m critical of various political entities, including the Congress party, as seen in pieces about Bhopal and Burmese refugees. These stories deal with the erasure of memory and history, and the marginalisation of democracy and egalitarianism in favour of realpolitik and strategic interests.

My fiction, particularly The Light at the End of the World , deals with similar themes but in a more sublimated, playful manner. The non-fiction in Twilight Prisoners is more direct and carefully researched. Both forms allow me to explore dark currents of Hindu nationalism, colonialism, and various forms of violence, including the often overlooked complicity of neoliberalism and capitalism. That’s how Twilight Prisoners came into being—as a way to preserve these pieces, make them accessible to a wider audience, and tell a coherent story about India’s recent political and social evolution.

Also Read | Dhruv Rathee: ‘No matter which party comes to power, I will keep questioning the government’

You’ve called this collection a “report from the frontiers of the unravelling of India’s flawed national project”. Considering you also say that the very same national project also held the “midnight promise of decolonization and Third World liberation”, in what sense do you call it flawed?

I call it flawed because it didn’t really culminate, even before the rise of Hindu nationalism. This isn’t just about India; it’s about the broader promise of decolonisation in Asia, Africa, and Latin America. The idea was that we would be different from the Western European colonial powers, which were extremely violent, hierarchical, racist, sexist, and environmentally destructive. The promise of postcolonialism, embraced to some degree by Indian elites like Nehru, was that we would have more egalitarian, inclusive national projects. This wasn’t just about minorities, but also about addressing the violence of patriarchy, caste, and the treatment of refugees and indigenous people. We aimed for social justice, a welfare state, and equitable sharing of resources.

However, the postcolonial project in India veered away from this vision quickly. This deviation ultimately gave Hindu nationalism such power. The Congress party is also culpable, as seen in the 1984 targeting of Sikh minorities. But the issues extend to the treatment of Dalits, tribals, and Kashmiris as well.

The “freedom at midnight” that Nehru spoke of wasn’t really freedom for many people. As a child of the Partition, I’m acutely aware of the violence and displacement it caused—with 12 to 20 million people displaced and about 1 million killed. This trauma was largely suppressed and forgotten in the national narrative. So when I say “flawed”, I’m referring to the failure to realise the promise of a more equitable, inclusive, and just society that was supposed to emerge from decolonisation. The Indian national project, like many others, fell short of its lofty ideals.

Towards the end of the chapter “Nowhere Man” (on Prime Minister Narendra Modi ), you write about “the astonishing, amazing phenomenon of a world that can still produce, from the crushed bottom layers of Indian society, people who, with every bit of the dignity and courage they can muster, resist the lure of their silent, lonely, aloof, admired, and unloved leader”. Do you think that the mandate of the 2024 election was a moment of reassertion for these people? And what does it mean for Modi going forward?

Absolutely. Those words are some of the happier ones in what is otherwise a dark analysis of Narendra Modi and the Hindu Right’s authoritarianism. I wrote that piece in 2016, as an early critique of Modi, just before he was invited by the Obama administration to address the joint US Houses of Congress. Based on my reporting and time spent with people, I believe that the further down you go socially and in terms of caste and class, you find a stronger sense of democracy and justice. This isn’t unique to India; I see it to some degree in the United States as well. The poor understand suffering because they experience it directly every day. While this can be channelled by right-wing forces, there’s also resistance within the broader Indian population to the most egregious violence and authoritarianism.

The current election results show that people have begun to catch on and express themselves. However, this alone isn’t sufficient. The opposition political parties must respond to this historical opportunity by avoiding selfishness, hunger for power, soft Hindutva, or aligning with neoliberal capital. I wrote in The New York Times just before the election that the Hindutva project has begun to run aground because it’s mostly based on violence and hatred. It lacks a vision for India beyond that. There’s talk of development, but it’s limited to shopping malls, airports, and military hardware. There’s no vision for addressing inequality, food security, or public health, as we saw during the pandemic with the Modi government’s non-response.

This is a wonderful moment, but many challenges remain. Democratic forces in the country, both at the grassroots level and in opposition political parties, must seize this opportunity. They need to represent the better side of the Indian people and their hopes and aspirations.

Prime Minister Narendra Modi during the pran pratishtha rituals at the Ram Mandir, in Ayodhya on January 22, 2024. Deb says that the Lok Sabha result in Faizabad shows that the promise of the Hindu Right’s civilisational project is wearing thin, even among Hindus who previously supported the BJP.

Prime Minister Narendra Modi during the pran pratishtha rituals at the Ram Mandir, in Ayodhya on January 22, 2024. Deb says that the Lok Sabha result in Faizabad shows that the promise of the Hindu Right’s civilisational project is wearing thin, even among Hindus who previously supported the BJP. | Photo Credit: PTI

In the chapter on the Bhopal gas tragedy , you write: “In India these days, there are fantasies of a hundred more Bhopals in the form of secrecy-shrouded nuclear plants and river-damming projects, of pharaonic, Ozymandian monuments rising from the valleys and the mountains.” Forty years on, do you think India is yet to learn any lessons from the disaster?

No, India hasn’t learned any lessons from the disaster. This is due to the nature of the Indian elite and their colonised mentality, which fetishises a certain kind of Western science, progress, and capitalism. Construction is big money everywhere, making it hard to challenge such projects or the extraction of fossil fuels. India as a nation struggles with the past and memory, as seen with the Partition and Bhopal. Unlike Chernobyl or Fukushima, Bhopal affected poor, brown people, though Western capitalism was culpable through Union Carbide. The Indian elites are complicit as a comparator class.

India remains enthralled by this model of capitalist development, as seen with the Narmada dams. Despite protests and prescient writings by activists like Arundhati Roy, the damage persists with little benefit for farmers. There’s also pressure from entities like the World Bank or IMF to push through huge projects, as the Western powers are caught up in a certain idea of development. Even with climate collapse becoming evident, it’s hard to change this approach due to the profit and power it generates.

You document the change in India’s approach to Burmese dissidents from the late 1980s to the 2000s in the chapter “Nowhere Land”. Do you attribute that change to India lacking a refugee policy or not being a signatory to the global Refugee Convention (1951) or Protocol (1967)? Or is it a logical end to the neoliberal turn that India underwent in the corresponding period?

I don’t think it’s about not being a signatory. Some countries harbouring the largest refugee populations, like Egypt, aren’t signatories either. Western countries, despite being signatories, often let in very few refugees or undocumented people. I believe it’s more about India’s embrace of neoliberalism and its aspiration to be a big power, focussing on realpolitik rather than ideals or ethics. This shift represents a departure from the initial post-colonial solidarity, which supported democracy in Burma, anti-apartheid in South Africa, and the Palestinian cause. Realpolitik means aligning with whatever suits immediate strategic and fossil fuel extraction interests, behaving more like Western powers. This explains the dramatic shift in India’s approach towards Burmese refugees and pro-democracy activists.

“Journalism is in crisis globally, which means democracy is in crisis. The conjunction of fascism and corporate interests in India has compromised journalistic standards.”

In the chapter about Assam’s CAA-NRC exercise (“Manufacturing Foreigners”), you write about how one individual, whom you describe as “perhaps Assam’s best-known progressive intellectual”, saw the NRC (National Register of Citizens) completed in August 2019 as the best solution to an inherently complex situation and necessary for “any hope of reconciliation”. He also felt that people designated as “foreigners” should be allowed to go about daily life until they were resettled but they shouldn’t be allowed to vote. What did you make of these “humane” alternatives/solutions?

These ideas are actually very inhumane. It’s sad that Assamese nationalism has allowed itself to be hijacked into the project of Hindu nationalism. While I understand the fears about demographic changes, many of the Bengali Muslims being targeted are not recent refugees but have been there since the 19th century.

It’s fascinating that this “progressive” intellectual’s views align closely with those of an RSS man I interviewed in Ayodhya, who expressed similar ideas about Muslims in India. Both suggest that certain groups can stay and work but shouldn’t have voting rights. This similarity, despite their opposing political stances, illustrates the relationship between the NRC and CAA. It’s tragic to see such convergence of thought.

Regarding the Ayodhya temple , you write that the Ram temple “is only the beginning of an effort to construct a past that never was, in the hope of devising a future from which India’s Muslim inhabitants can be erased”. But we saw what happened in the 2024 Lok Sabha election when the BJP lost the Faizabad seat by over 50,000 votes. How do you interpret that verdict and what does it mean for the Hindu Right’s so-called civilisational project?

I think it’s a wonderful result to be celebrated. It shows that the promise of that civilisational project is wearing thin, even among Hindus who previously supported the BJP. As my Ayodhya piece makes clear, beneath the shine of the temple and new infrastructure, there’s deep poverty, inequality, and suffering.

The Faizabad result suggests that reality is beginning to outstrip the fantastic past and future the Hindu Right has been projecting. It’s a moment that must be seized upon by progressive democratic forces. We need a vision of the past that’s complex and equitable, not a fantasy of endless harmony, and a vision for a more just future.

Siddhartha Deb’s Twilight Prisoners: The Rise of the Hindu Right and the Decline of India is a collection of his journalism and essays over the past one and a half decades.

Siddhartha Deb’s Twilight Prisoners: The Rise of the Hindu Right and the Decline of India is a collection of his journalism and essays over the past one and a half decades. | Photo Credit: By Special Arrangement

In the chapter “Impossible Machines”, you write that India’s success has been “built on effectively mimicking Western business practices and technological advances rather than by coming up with anything original of its own”. What is the reason behind the inability of Indians to innovate or create something groundbreaking from scratch?

We don’t value creativity or what Tagore called “the quality of play”. The middle class, in particular, is very attached to a certain kind of bourgeois safety. We force everyone into the same box—engineering, medicine, or civil services—whether they want it or not. This stifles creativity and innovation. As a fiction writer, I feel this strongly. We don’t value imagination, which plays a big role in scientific and technological innovation. Our education system focuses on rote memorisation over hands-on experience. There’s also a casteist element in this resistance to creativity: we don’t value weavers, cobblers, or cooks unless they become celebrities.

It’s ironic because we have great traditions of textiles, architecture, and cuisine. We’re creative people, but we don’t value creativity at the state or societal level. Instead, we’ve become amazing consumers, flocking to shopping malls, because possession is easier than creation. This is why we haven’t produced groundbreaking innovations, not even a great smartphone. Even China does better than us in this regard, which is fascinating.

To paraphrase your words from “Killing Gauri Lankesh ”, you write that the enemy seems to be information itself, along with transparency and critical thinking. Given the falling value of journalism and corporate pressures prevailing over public interest, what’s the future of Indian news media?

The mainstream media in India has largely collapsed, becoming a propaganda wing of the government. This is a stark contrast to when I began in 1994, when journalists were courageous and challenged the government. However, some alternative media platforms like The Caravan , The Wire, and Scroll are doing good work. Journalism is in crisis globally, which means democracy is in crisis. The conjunction of fascism and corporate interests in India has compromised journalistic standards. However, there’s hope in younger, diverse journalists using social media as a platform. I’m not entirely pessimistic, but I think Indian democracy might need to change before journalism does.

Also Read | The hate artists of Hindutva

In the chapters on the Bhima Koregaon case and Arundhati Roy , we see an authoritarian India using draconian laws against ideological opponents. Is pushback possible against a legal system where the process becomes the punishment?

We must push back, otherwise we’ll live in a police state. This authoritarian approach has expanded from areas like Kashmir to urban centres. Fascism constantly needs new enemies, and it won’t stop with current targets. The courts are notoriously colonial, casteist, and easily co-opted by the government. We see this in the persecution of the Bhima Koregaon-16 and in anti-labour rulings. Despite the compromised system, we have no choice but to fight back.

The pieces in Twilight Prisoners present a grim portrait of India’s democratic backsliding. For those who believe in the constitutional “idea of India”, what’s the way forward?

I’d separate the idea of India from the Constitution slightly. The Constitution is largely progressive, which is why the Hindu Right wants to change it. I’m not a nationalist; my attachment to the subcontinent doesn’t end at India’s borders. I hesitate to prescribe a way forward, as I believe we need to figure it out together. The bottom line is respecting, loving, and embracing difference and diversity. This can start with gender, religion, or caste. We need to understand and appreciate our differences. There’s a kind of churning happening beneath the elite layers of society, and I think that’s the way forward—to truly appreciate and embrace difference.

CONTRIBUTE YOUR COMMENTS

SHARE THIS STORY

Stories that help you connect the dots

FL Cover.jpg

India’s record heatwave vows to return: Can we survive the next?

In India, 2023 was the second warmest year after 2016, and the duration of its heatwaves has increased by about three days in the last 30 years.

Editor’s Note: We need a bigger, better heat action plan

  • Bookmark stories to read later.
  • Comment on stories to start conversations.
  • Subscribe to our newsletters.
  • Get notified about discounts and offers to our products.

Terms & conditions   |   Institutional Subscriber

essay on democracy in india in hindi

Comments have to be in English, and in full sentences. They cannot be abusive or personal. Please abide to our community guidelines for posting your comment

भारत में लोकतंत्र पर निबंध Essay on Democracy in India Hindi

इस लेख में हमने भारत में लोकतंत्र पर निबंध हिन्दी में Essay on Democracy in India Hindi दिया है। इसमें आप जानेंगे लोकतंत्र क्या है? इसमें चुनाव की भूमिका, इतिहास, इसके 5 सिद्धांत, और सुधार के उपाय।

Table of Content

हमारे भारत देश में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। 1947 की आजादी के बाद हमारा भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया। जिस कारण जनता को इसके बाद भारत में वोट देने और अपने नेताओं का सही चुनाव करने का अधिकार मिल गया।

भारत में लोकतंत्र पर निबंध | 5 सिद्धांत Democracy in India Essay in Hindi | Its 5 Principle

लोकतंत्र क्या है? What is Democracy?

1947 में ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में परिवर्तित हो गया था तथा आज के समय में यह पूरी दुनिया का एक सबसे बड़ा लोकतांत्रिक राष्ट्र बन चुका है।

भारतीय लोकतंत्र अपने नागरिकों को जाति, धर्म, रंग, लिंग और पंथ आदि को नज़र-अंदाज करते हुये अपनी पसंद से वोट देने की अनुमति देता है। इसके पांच लोकतांत्रिक सिद्धांत इस प्रकार हैं – समाजवादी, संप्रभु, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य, लोकतंत्र ।

चुनाव में क्या होता है? What is Election?

सरकार भी मतदान करने के लिये लोगों को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करने के लिये हर समय प्रयास में लगी रहती है। लोगों को अपना कीमती वोट देने से पहले चुनाव में खड़े होने वाले उम्मीदवारों के बारे में पूरी जानकारी होना चाहिए और एक अच्छे प्रशासन स्थापित करने लिये जो हमें सबसे योग्य व्यक्ति लगता है उसको वोट देना चाहिए।

भारत में लोकतंत्र का इतिहास History of Democracy in India

उस समय के भारत के लोग, जिन्होंने अंग्रेजों के हाथों काफी अत्याचारों का सामना किया था, पहली बार वोट करने का और अपनी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त किया।

लोकतंत्र को हम सरकार का सबसे अच्छा स्वरूप कहते है। यह देश के प्रत्येक नागरिक को वोट देने और उनकी जाति, पंथ, रंग, धर्म या लिंग के बावजूद अपनी इच्छा से अपने नेताओं का चयन करने की आज्ञा देता है।

भारत में चुनाव व राजनीतिक पार्टी Political Parties

भारत के कई राज्यों में विभिन्न रूप से नियमित अंतराल पर भी चुनाव किये जाते हैं। इन चुनावों में कई पार्टियां केंद्र तथा राज्यों में जीतकर सरकार बनाने के लिये प्रतिस्पर्धा करती हैं।

भारतीय लोकतंत्र के 5 सिद्धांत 5 Principles of Indian Democracy

संप्रभु sovereign.

इसका सीधा-सीधा अर्थ है हमारा भारत किसी भी विदेशी शक्ति या उसके नियंत्रण के हस्तक्षेप से मुक्त है।

समाजवादी Socialist

इसका अर्थ है, कि सभी नागरिकों को आर्थिक समानता और सामाजिक प्रदान करना।

धर्मनिरपेक्षता Secularism

इसका अर्थ है, लोगों को किसी भी धर्म को अपनाने या अस्वीकार करने की आजादी है।

लोकतंत्र Democracy

इसका मतलब है, कि भारत की सरकार अपने देश के नागरिकों के द्वारा चुनी जाती है।

लोकतांत्रिक गणराज्य Democratic republic

इसका मतलब है, कि देश का प्रमुख कोई भी एक वंशानुगत राजा या रानी नहीं होता है।

भारतीय लोकतंत्र में सुधार लाने के उपाय क्या है? Ways to Improve Indian Democracy

हमारे भारतीय लोकतंत्र में सुधार की बहुत जरूरत है, इसके सुधार के लिये हमें कुछ कदम उठाना चाहिए-

निष्कर्ष Conclusion

आज के दिन में ऐसे कई वाकया हो रहें हैं जो पूर्ण रूप से लोकतंत्र का हनन और विरोध हैं। इसके विषय में आपकी क्या राय है कमेन्ट के माध्यम से जरूर बताएं।

Featured Image – Flickr (Vineer Timple)

essay on democracy in india in hindi

Similar Posts

सांप्रदायिक एकता पर निबंध communal harmony essay in hindi, किसान आत्महत्या पर निबंध essay on farmers suicides in hindi, मेक इन इंडिया अभियान पर निबंध essay on make in india in hindi, मेरा विद्यालय पर निबंध essay on my school in hindi, नाग पंचमी पर निबंध तथा महत्त्व, कथा essay on naga panchami in hindi, भारतीय राजनीति पर निबंध essay on politics in india hindi, leave a reply cancel reply.

  • DOI: 10.1080/00938157.2024.2383497
  • Corpus ID: 271592591

A testimony of the threat to Indian democracy: A review of Alpa Shah’s book “ The Incarcerations: BK-16 and the search for democracy in India ”

  • Sootrisa Basak
  • Published in Reviews in Anthropology 30 July 2024
  • Political Science, Sociology, History

One Reference

The forum: global challenges to democracy perspectives on democratic backsliding, related papers.

Showing 1 through 3 of 0 Related Papers

IMAGES

  1. भारत में लोकतंत्र पर निबंध

    essay on democracy in india in hindi

  2. Write an essay on Democracy in India || Short paragraph on Democracy in India || #extension.com

    essay on democracy in india in hindi

  3. भारत में लोकतंत्र पर निबंध

    essay on democracy in india in hindi

  4. Democracy Essay in Hindi 300 Words for Students भारत में लोकतंत्र पर निबंध

    essay on democracy in india in hindi

  5. लोकतंत्र पर निबंध : Essay on Democracy in India in Hindi

    essay on democracy in india in hindi

  6. भारत में लोकतंत्र पर निबंध

    essay on democracy in india in hindi

VIDEO

  1. Essay on Democracy in India

  2. 75 Years of Democracy INDIA 🇮🇳🇮🇳##Ankit motivation study 🎯🎯🎯♥️🎯👍

  3. democracy india

  4. Nazariya

  5. Hindi Debate on Democracy (Loktantra): Laxman Bishnoi Lakshya

  6. ESSAY ON INDIAN DEMOCRACY

COMMENTS

  1. भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Democracy in India Essay in Hindi)

    भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Democracy in India Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / July 21, 2023. भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में जाना जाता है, जिस पर ...

  2. लोकतंत्र पर निबंध 10 lines (Democracy In India Essay in Hindi) 100, 200

    Democracy In India Essay in Hindi - लोकतंत्र को सर्वोत्तम प्रकार की सरकार माना जाता है क्योंकि यह नागरिकों को सीधे अपने नेताओं को चुनने की अनुमति देता है।

  3. भारत में लोकतंत्र पर निबंध

    भारतीय लोकतंत्र पर निबंध Short Essay on Democracy in India in Hindi प्रस्तावना- अब्राहम लिंकन के अनुसार जनतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता के द्वारा शासन हैं.

  4. भारत में लोकतंत्र पर निबंध

    भारत में लोकतंत्र पर बड़े तथा छोटे निबंध (Essay on Democracy in India in Hindi) जनतंत्र का आधार चुनाव - Democracy's Base Election रूपरेखा- प्रस्तावना, जनता और चुनाव, राजनैतिक दल और नेता, चुनाव ...

  5. Democracy in india essay in hindi, article, paragraph: भारत में

    भारत में लोकतंत्र पर निबंध, Essay on democracy in india in hindi (300 शब्द) लोकतंत्र को सरकार का सबसे अच्छा रूप कहा जाता है। यह देश के प्रत्येक नागरिक को वोट ...

  6. लोकतंत्र किसे कहते हैं

    लोकतंत्र की विशेषताएं - Different Definitions of Democracy in hindi, भारतीय लोकतंत्र के घटक, महत्व, प्रकार, पक्ष और विपक्ष में तर्कों के बारे में जानें!

  7. लोकतंत्र एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

    लोकतंत्र एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इनमें से किसी पर भी आँच आने पर दूसरा स्वत: ही विलुप्ति की कगार पर ...

  8. लोकतंत्र पर निबंध

    500+ Essays in Hindi - सभी विषय पर 500 से अधिक निबंध. संक्षेप में, भारत में लोकतंत्र अभी भी अधिकांश देशों की तुलना में बेहतर है। बहरहाल, सुधार के लिए ...

  9. Essay on Democracy in India in Hindi

    Essay on Democracy in India in Hindi, Long and Short essay and paragraph of indian democracy in hindi language for all students. निबंध ( Hindi Essay) अनुच्छेद

  10. कितना सफल है भारत का लोकतंत्र

    कितना सफल है भारत का लोकतंत्र? अपने 71 वर्षों के सफर में भारत का लोकतंत्र कितना सफल रहा, यह देखने के लिये इन वर्षों का इतिहास, देश की ...

  11. भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Indian Democracy Essay In Hindi)

    भारत में लोकतंत्र पर लिखा हुआ यह निबंध (Essay On Indian Democracy In Hindi) आप अपने स्कूल या फिर कॉलेज प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते है। आपको हमारे इस ...

  12. भारत में लोकतंत्र पर निबंध

    Essay on Democracy in Hindi. लोकतंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है - लोक + तंत्र। लोक का अर्थ है जनता और लोग अर्थात तंत्र का अर्थ शासन, अर्थात लोकतंत्र का ...

  13. Essay on Democracy in India

    Here is an essay on 'Democracy in India' especially written for school and college students in Hindi language. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन द्वारा लोकतंत्र की परिभाषा देते हुए कहा था कि लोकतंत्र का अर्थ ...

  14. लोकतंत्र पर निबंध

    Here is an essay on 'लोकतंत्र पर निबंध | Essay on Democracy in Hindi' for class 7, 8, 9, 10, 11 and 12! Essay Contents: भारत ...

  15. भारत में लोकतंत्र पर निबंध Essay on Democracy in India Hindi

    आज हम भारत में लोकतंत्र पर निबंध पढ़ेंगे। आप Essay on Democracy in India Hindi को ध्यान से और मन लगाकर पढ़ें और समझें। यहां पर दिया गया निबंध कक्षा (For Class) 1, 2 ...

  16. Democracy Essay in Hindi भारत में लोकतंत्र पर निबंध

    Democracy Essay in Hindi. भारत में लोकतंत्र पर निबंध. लोकतंत्र सरकार की एक प्रणाली होती है जिसके तहत वह अपने नागरिकों को वोट देने और अपनी पसंद की सरकार के चुनाव के लिए ...

  17. भारतीय राजनीति पर निबंध (Indian Politics Essay in Hindi)

    भारतीय राजनीति पर निबंध (Indian Politics Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / May 9, 2021. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं और जीवन के अनेक पहलुओं से मनुष्य का सम्बन्ध ...

  18. भारत में लोकतंत्र पर निबंध

    अंतिम शब्द. हमने यहां पर "भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Essay on democracy in india in Hindi)" शेयर किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको यह निबंध पसंद आया होगा, इसे ...

  19. लोकतंत्र पर निबंध हिंदी में

    June 10, 2023 Kanaram siyol HINDI NIBANDH. नमस्कार आज का निबंध लोकतंत्र पर निबंध हिंदी में Essay On Democracy In Hindi पर दिया गया हैं. सरल भाषा में स्टूडेंट्स के लिए लोकतंत्र ...

  20. भारत में प्रजातंत्र का भविष्य पर निबन्ध

    भारत में प्रजातंत्र का भविष्य पर निबन्ध | Essay on The Future of Democracy in India in Hindi! अधिकारों की असमानता तथा अवसरों की विषमता आन्दोलनों को जन्म देती है ...

  21. Essay on Democracy in India for Students and Children

    500+ Words Essay on Democracy in India. Essay on Democracy in India - First of all, democracy refers to a system of government where the citizens exercise power by voting. Democracy holds a special place in India. Furthermore, India without a doubt is the biggest democracy in the world. Also, the democracy of India is derived from the ...

  22. Essay on Indian Democracy in 100 and 200 Words for School Students in

    Essay on Indian Democracy in 200 Words. India has the largest democratic system in the world, which is evidence of its unwavering commitment to plurality and tolerance. It was founded in 1950 with the ratification of the Constitution and is based on the ideas of justice, equality, and freedom. India's democratic system depends on periodical ...

  23. The Future of Democracy in India

    The outcome of India's elections this year represent an opportunity for the world's largest country to regain its democracy, but that outcome will depend on mobilization by Indians and an ...

  24. Practicing Censorship? Paper, Print, and Democracy in India

    The asymmetrical relationship between ownership and circulation also had some linguistic elements. Among the (fourteen) languages officially tabulated in in 1958-58, Hindi, Urdu, and Punjabi together had the largest number of speakers in the country (ca. 150 million) and the highest circulation (4,783,000, see table 3). 57 However, even though a miniscule proportion of the population was ...

  25. A Democracy in Retreat: Revisiting the Ends of ...

    Explore Ashwani Kumar's compelling collection of essays and op-eds, which delve into India's democratic challenges and offer a nuanced perspective on current issues. This anthology, drawn from his journalistic contributions, provides ethical lessons and a critical analysis of political and judicial landscapes, capturing the essence of history in the making.

  26. 3 survey results that tell us what Indians think about democracy

    The India-specific survey-based findings offer us a few serious indications to evaluate people's views, perceptions, and anxieties about democracy in the country. Three key results of the survey ...

  27. Interview

    Published by Context, Siddhartha Deb's 'Twilight Prisoners: The Rise of the Hindu Right and the Decline of India' is a collection of his journalism and essays over the past one and a half decades. As it documents India's descent into authoritarianism, the book reveals a country in which forces old and new have aligned to endanger democracy. In an interview with Frontline, Deb spoke ...

  28. भारत में लोकतंत्र पर निबंध Essay on Democracy in India Hindi

    इस लेख में हमने भारत में लोकतंत्र पर निबंध हिन्दी में Essay on Democracy in India Hindi दिया है। क्या है? चुनाव की भूमिका, इतिहास, सिद्धांत

  29. 2024 Indian general election

    General elections were held in India from 19 April to 1 June 2024 in seven phases, to elect all 543 members of the Lok Sabha. Votes were counted and the result was declared on 4 June to form the 18th Lok Sabha. On 7 June 2024, Prime Minister Narendra Modi confirmed the support of 293 MPs to Droupadi Murmu, the president of India. This marked Modi's third term as prime minister and his first ...

  30. A testimony of the threat to Indian democracy: A review of Alpa Shah's

    DOI: 10.1080/00938157.2024.2383497 Corpus ID: 271592591; A testimony of the threat to Indian democracy: A review of Alpa Shah's book " The Incarcerations: BK-16 and the search for democracy in India "